समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल, 28 नवंबर को सुनवाई
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए समीक्षा याचिका दायर की गई है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट मामले में 28 नवंबर को सुनवाई करेगा। यह तारीख कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा सौंपी गई, जो अस्थायी है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ से अनुरोध किया कि समीक्षा याचिका 28 नवंबर को 5 न्यायाधीशों के समक्ष विचार के लिए लाई जाए।
खुली कोर्ट में सुनवाई की मांग
रिपोर्ट के मुताबिक, वकील रोहतगी ने कहा, "हमने खुली कोर्ट में सुनवाई की मांग की है। इसे अस्थायी रूप से 28 नवंबर को सूचीबद्ध किया गया है। इसे हटाया न जाए। इसके अलावा बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक, दोनों ही दृष्टिकोण मानते हैं कि भेदभाव (LGBT+ के खिलाफ) है और उसका समाधान होना चाहिए।" इस पर CJI ने कहा कि उन्हें अभी समीक्षा याचिकाओं पर विचार करना है और खुली कोर्ट में सुनवाई पर बाद में विचार किया जाएगा।
समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाने वाले एक न्यायाधीश हो चुके हैं सेवानिवृत्त
रिपोर्ट के मुताबिक, समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाने वाली पीठ के 5 न्यायाधीशों में शामिल रहे न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट 20 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में CJI डीवाई चंद्रचूड़ को समीक्षा याचिका पर विचार के लिए एक नया न्यायाधीश जोड़ना होगा। न्यायमूर्ति भट्ट समलैंगिक विवाह के विरोध में रहे थे। बता दें, 'रोस्टर मास्टर' के तौर पर CJI ही समीक्षा याचिकाओं पर विचार के लिए तारीख तय करते हैं।
समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को अपने फैसले में देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने 3-2 के बहुमत से ये फैसला सुनाया था। इस दौरान CJI चंद्रचूड़ और न्यायाधीश एसके कौल ने संसद से समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की दिशा में काम करने को कहा था, वहीं पीठ के बाकी 3 न्यायाधीशों की राय अलग रही थी। सभी ने भेदभाव की बात मानी थी।