सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त पर जमानत का HC का फैसला पलटा
क्या है खबर?
यौन उत्पीड़न के आरोपी को पीड़िता से राखी बंधाने की शर्त पर जमानत देने वाले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है।
हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ नौ महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
गुरुवार को इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विभिन्न अदालतों के जजों को महिलाओं से जुड़े मुद्दों में पूर्वाग्रहों से ग्रसित टिप्पणियां करने से बचना चाहिए।
पृष्ठभूमि
क्या है मामला?
बीते साल 20 अप्रैल को उज्जैन के रहने वाले विक्रम बागरी अपने पड़ोस में रहने वाली 30 वर्षीय महिला के घर में जबरन दाखिल हो गए थे।
आरोप है कि उस दौरान उन्होंने महिला से छेड़छाड़ की थी। पीड़िता की शिकायत पर आरोपी की गिरफ्तारी हुई थी।
बीते साल अगस्त में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पीड़िता को सुरक्षा का वचन देने और उससे राखी बंधवाने की शर्त पर आरोपी को जमानत देने का फैसला सुनाया था।
याचिका
महिला वकीलों ने दी थी जमानत की शर्त को चुनौती
NDTV के अनुसार, नौ महिला वकीलों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इस फैसले में जमानत की शर्त को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। महिला वकीलों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि ऐसे आदेश महिलाओं को वस्तु की तरह दिखाते हैं।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ऐसे मामलों के लिए वो सिर्फ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ही नहीं बल्कि सभी हाई कोर्ट और निचली अदालतों के लिए निर्देश चाहते हैं।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर लगाई थी रोक
इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में हाई कोर्ट के आदेश और आरोपी के जेल से छूटने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है।
फैसला
कोर्ट ने जारी किए अहम दिशानिर्देश
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की मदद कर रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने हाई कोर्ट द्वारा आरोपी को जमानत देने के लिए रखी गई शर्त पर सवाल खड़े किए और कहा कि ऐसे मामलों में महत्वहीन मानने और पीड़िताओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली प्रवृत्ति को रोकने के लिए लैंगिक संवेदनशीलता की जरूरत है।
कोर्ट ने भी अपने आदेश में जजों और वकीलों के सेंसटाइजेशन के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल बनाने समेत कई दिशानिर्देश जारी किए हैं।
सुझाव
वेणुगोपाल ने दिए कई अहम सुझाव
वेणुगोपाल ने इस मामले में कई अहम सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों के सम्मान के साथ निपटारे के लिए न्यायपालिका में महिला जजों की नियुक्तियां बढ़ानी होंगी।
साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अदालतों को पीड़िता और आरोपी के बीच समझौता कराने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि जमानत के आदेश में ऐसी कोई बात नहीं होनी चाहिए, जिसकी वजह से पीड़िता और आरोपी के बीच कोई संपर्क हो।