सुप्रीम कोर्ट का विपक्ष को बड़ा झटका, 50 प्रतिशत VVPAT पर्चियों की जांच की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विपक्षी पार्टियों की EVM से निकलने वाली कम से कम 50 प्रतिशत VVPAT पर्चियों के मिलान संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस लोकसभा चुनाव में हर विधानसभा सीट पर VVPAT मशीनों की संख्या एक से बढ़ाकर 5 करने का आदेश दिया था, जिससे विपक्षी दल संतुष्ट नहीं हुए थे और 21 पार्टियों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में फिर से याचिका डाली थी।
क्या थी विपक्ष की मांग?
विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट से यह कहते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था कि इससे VVPAT से सत्यापन का प्रतिशत 0.44 प्रतिशत से बढ़कर मात्र 2 प्रतिशत होगा। पार्टियों ने दलील दी थी कि इससे स्थिति में कोई भी बड़ा बदलाव नहीं आएगा। विपक्षी पार्टियों की तरफ से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से EVM का VVPAT से सत्यापन कम-से-कम 25 प्रतिशत करने को कहा था।
EVM में खराबी को भी बनाया गया दलील
पार्टियों ने लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान में EVM में आई खराबी की रिपोर्टों को भी अपनी दलील का हिस्सा बनाया था। कुछ मामलों में यह भी देखा गया था कि मतदाता ने वोट किसी पार्टी को दिया, जबकि वह गया किसी अन्य पार्टी के खाते में। पार्टियों की मांग पर चुनाव आयोग ने कहा था कि अगर ऐसा किया गया तो चुनाव का परिणाम आने में 6 दिन की देरी होगी।
मात्र 60 सेकंड में खारिज हुई याचिका
सारी दलीलें सुनने के बाद अब मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए अपने पुराने फैसले को बरकरार रखा और विपक्षी दलों की याचिका को खारिज कर दिया। मात्र 60 सेकंड के अंदर अपना फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, "हम अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।" बता दें कि लोकसभा चुनाव का परिणाम 23 मई को घोषित किया जाएगा।
EVM से छेड़छाड़ बना है बड़ा मुद्दा
पिछले कुछ सालों में EVM से छेड़छाड़ विपक्षी दलों को एक बड़ा मुद्दा रहा है। वे केंद्र शासित भारतीय जनता पार्टी पर EVM हैक करने चुनावों में जीत हासिल करने का आरोप लगाती रही हैं। हालांकि आरोपों के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं है।