
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज FIR खारिज की, क्या है मामला?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सिर्फ एक कविता के लिए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज FIR को खारिज कर दिया।
गुजरात पुलिस ने प्रतापगढ़ी के इंस्टाग्राम पर वीडियो क्लिप के साथ बैकग्राउंड में 'ऐ खून के प्यासे बात सुनो' कविता को चलाने पर FIR दर्ज की थी।
न्यायमूर्ति अभय ओक और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने प्रतापगढ़ी की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि मामले में कोई अपराध नहीं बनता है।
सुनवाई
कोर्ट ने पुलिस को उसके कर्तव्यों की याद दिलाई
लाइव लॉ के मुताबिक, पीठ ने अपने फैसले में पुलिस और कोर्ट को उनके कर्तव्यों की याद दिलाई और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने कोर्ट और पुलिस को किसी को न पसंद आने वाली बात के लिए व्यक्तियों के अधिकारों को बनाए रखने की बात कही।
कोर्ट ने कहा, "साक्षरता और कला जीवन को अधिक सार्थक बनाती है, गरिमापूर्ण जीवन के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आवश्यक है।"
टिप्पणी
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना गरिमापूर्ण जीवन असंभव- कोर्ट
न्यायमूर्ति ओक ने फैसले को पढ़ते हुए कहा कि व्यक्तियों या समूहों द्वारा विचारों और दृष्टिकोणों को स्वतंत्र रूप से प्रकट करना एक स्वस्थ सभ्य समाज का अभिन्न अंग है।
उन्होंने कहा कि विचारों और दृष्टिकोणों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत गरिमापूर्ण जीवन जीना असंभव है।
उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में व्यक्ति या समूह द्वारा व्यक्त विचारों का प्रतिवाद करना है तो दूसरे दृष्टिकोण को व्यक्त करके करना चाहिए।
बयान
भले ही बयान लोग नापसंद करते हों...
उन्होंने आगे कहा कि भले ही काफी लोग दूसरे व्यक्ति के विचारों को पसंद नहीं करते हों, लेकिन व्यक्ति के विचारों को व्यक्त करने के अधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कविता, नाटक, फिल्म, व्यंग्य और कला समेत साहित्य मनुष्य के जीवन को अधिक सार्थक बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि कोर्ट को अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, भले ही उन्हें व्यक्त की गई बातें पसंद न हों, यह हमारा मौलिक कर्तव्य है।
विवाद
क्या है प्रतापगढ़ी की कविता का मामला?
इस साल जनवरी में गुजरात के जामनगर में प्रतापगढ़ी के खिलाफ 46 सेकेंड के वीडियो पर FIR दर्ज हुई थी।
वीडियो में प्रतापगढ़ी पर फूल बरसते और बैकग्राउंड में कविता "ऐ खून के प्यासे बात सुनो" सुनाई पड़ रही है।
पुलिस ने इसे "भड़काऊ" और "राष्ट्रीय एकता के खिलाफ" मानते हुए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196, 197 के तहत मामला दर्ज किया।
प्रतापगढ़ी पहले गुजरात हाई कोर्ट गए, जहां याचिका रद्द होने पर वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।