सेंथिल बालाजी तमिलनाडु के मंत्री बने रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्यपाल नहीं बर्खास्त कर सकते
क्या है खबर?
तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें उसने बालाजी को मंत्री पद से हटाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था।
कोर्ट ने कहा कि हम हाई कोर्ट द्वारा अपनाए गए नजरिए से सहमत हैं।
बता दें कि बालाजी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में जेल में बंद है।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "मद्रास हाई कोर्ट के आक्षेपित फैसले को ध्यान में रखते हुए हम अपनाए गए दृष्टिकोण से सहमत हैं। अनुच्छेद 136 के तहत किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।"
पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि राज्यपाल मुख्यमंत्री की सिफारिश के बिना किसी मंत्री को बर्खास्त नहीं कर सकते।
ये याचिका चेन्नई के सामाजिक कार्यकर्ता एमएल रवि ने दायर की थी, जिस पर न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ सुनवाई कर रही थी।
विवाद
बालाजी की बर्खास्तगी पर हुआ था खूब विवाद
पिछले साल जून में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने बिना मुख्यमंत्री की सिफारिश के बालाजी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। उन्होंने कहा था कि बालाजी के मंत्री पद पर बने रहने से कानूनी प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होगी।
रवि के इस फैसले पर खूब विवाद हुआ था और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे असंवैधानिक बताया था।
विवाद बढ़ता देख कुछ ही घंटों में राज्यपाल ने अपना आदेश वापस ले लिया था।
जेल
ED ने पिछले साल जून में किया था गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले साल जून में बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोपों में गिरफ्तार किया था। तब से वे जेल में बंद हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
बालाजी पर नौकरी के बदले पैसे लेने के आरोप हैं। ये घोटाला तब हुआ, जब वे 2011 से 2015 के बीच तत्कालीन ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) सरकार में परिवहन मंत्री थे।
बालाजी
कौन हैं बालाजी?
बालाजी का जन्म 21 अक्टूबर, 1975 को करूर में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने करूर के ही सरकारी RTS कॉलेज से पढ़ाई की है।
वह छात्र जीवन में ही AIADMK से जुड़ गए थे। 2006 में वे पहली बार AIADMK के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
जयललिता के निधन के बाद बालाजी ने AIADMK छोड़कर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) का हाथ थाम लिया था। फिलहाल वे तमिलनाडु के ऊर्जा मंत्री हैं।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
संविधान के अनुच्छेद 164(1) के मुताबिक, मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और बाकी मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल को मुख्यमंत्री की सलाह से करनी होगी।
मुख्यमंत्री मंत्री पद के लिए जिन नामों की अनुशंसा करेंगे, राज्यपाल उन्हें शपथ दिलाएंगे। इस हिसाब से देखा जाए तो राज्यपाल को न तो मंत्री नियुक्त करने और न ही उन्हें बर्खास्त करने का अधिकार है।
इस तरह के कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों के खिलाफ फैसला दिया है।