तमिलनाडु: राज्यपाल ने मंत्री की बर्खास्तगी के आदेश को चंद घंटों में ही क्यों वापस लिया?
क्या है खबर?
तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने जेल में बंद मंत्री वी सेंथिल बालाजी की बर्खास्तगी का आदेश चंद घंटों के अंदर ही वापस ले लिया। राज्यपाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद यह निर्णय लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शाह ने राज्यपाल को सलाह देते हुए कहा था कि इस विवादास्पद आदेश पर कानूनी राय लेना विवेकपूर्ण होगा।
इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने भी राज्यपाल के आदेश की निंदा करते हुए इसे असंवैधानिक बताया था।
आदेश
राज्यपाल ने बर्खास्तगी रोकने के आदेश में क्या कहा?
गुरूवार देर रात बालाजी की बर्खास्तगी पर रोक लगाने वाले अपने आदेश में राज्यपाल ने कहा, "मुझे माननीय केंद्रीय गृह मंत्री ने सलाह दी है कि मामले में अटॉर्नी जनरल की भी राय लेना समझदारी होगी। मैं अटॉर्नी जनरल से उनकी राय जानने के लिए संपर्क में हूं और तभी आगे कोई निर्णय लूंगा।"
उन्होंने कहा, "इस बीच मंत्री बालीजी की बर्खास्तगी को लेकर मेरी ओर से जारी आदेश को अगली सूचना तक निलंबित रखा जाएगा।"
आदेश
राज्यपाल ने बर्खास्तगी के आदेश में क्या कहा था?
राज्यपाल ने अपने पहले आदेश में कहा था, "मैं इस तथ्य से अवगत हूं कि सामान्य परिस्थितियों में एक राज्यपाल मंत्री परिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करता है। मौजूदा मामले में बालाजी को मंत्री परिषद के सदस्य के रूप में बनाए रखने की जिद पूर्वाग्रह को दर्शाती है।"
राज्यपाल ने कहा, "बालाजी नौकरी के बदले में नकदी लेने और धन शोधन समेत भ्रष्टाचार के कई मामलों में गंभीर आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।"
बर्खास्तगी
राज्यपाल ने किस आधार पर की बर्खास्तगी?
राज्यपाल ने कहा, "ऐसी आशंकाएं हैं कि बालाजी के मंत्री के रूप में बने रहने से कानून की उचित प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होगी और यह न्यायिक प्रक्रिया को भी बाधित कर सकती है।"
उन्होंने कहा, "यह स्थिति अंततः राज्य में संवैधानिक मशीनरी में टूट का कारण बन सकती है। इन परिस्थितियों को देखते हुए मैं संविधान के अनुच्छेद 154, 163 और 164 के तहत प्रदत्त शक्तियों के तहत बालाजी को तत्काल प्रभाव से मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर रहा हूं।"
जानकारी
मुख्यमंत्री स्टालिन ने फैसले को बताया असंवैधानिक
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा, "राज्यपाल को किसी मंत्री को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है और हम इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।"
जेल
बालाजी पर क्या आरोप हैं?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) बालाजी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई को ED और पुलिस को बालाजी के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
यह मामला तब का है जब बालाजी 2011 से 2015 के बीच तत्कालीन ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) सरकार में परिवहन मंत्री थे। उन पर विभाग में नौकरी दिलाने के बदले में पैसे लेने का आरोप है।
टकराव
पहले भी हो चुका है राज्यपाल और सरकार का टकराव
तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की सरकार और राज्यपाल के बीच मतभेद का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव हो चुका है।
इसी साल विधानसभा सत्र के दौरान राज्यपाल के एक अभिभाषण को लेकर जमकर हंगामा हुआ था। राज्यपाल ने कहा था कि राज्य का नाम तमिलनाडु की बजाय तमिझगम होना चाहिए।
इसके विरोध में DMK ने राज्यपाल को केंद्र का एजेंट बताते हुए उनके इस्तीफे की मांग की थी।