SEBI-सहारा फंड से निवेशकों को 5,000 करोड़ रुपये का होगा भुगतान, सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सहारा समूह की ओर से बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास जमा कराए गए 24,000 करोड़ रुपये में से 5,000 हजार करोड़ रुपये आवंटन की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका को स्वीकार कर लिया है।
सुनवाई को दौरान न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि यह राशि सहारा समूह की सहकारी समितियों की ओर से ठगी के शिकार जमाकर्ताओं को लौटाई जाएगी।
कोर्ट
कोर्ट ने क्यों दिया आदेश?
कोर्ट ने यह आदेश पिनाक पानी मोहंती नाम के एक व्यक्ति की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार की ओर से दायर एक आवेदन पर दिया है, जिसने कोर्ट से चिट फंड कंपनियों और सहारा क्रेडिट फर्मों में निवेश करने वाले जमाकर्ताओं को राशि का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा कि जमाकर्ताओं को उनकी राशि लौटने की यह प्रक्रिया शीर्ष अदालत के पूर्व जज आर सुभाष रेड्डी की निगरानी में पूरी की जाएगी।
फंड
क्या है SEBI-सहारा फंड?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से अगस्त 2012 में सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इंडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) को निवेशकों का पैसा लौटाने का निर्देश देने के बाद SEBI-सहारा सहारा-SEBI एसक्रो अकाउंट खोले गए थे, जिसमें सहारा समूह की ओर से 24,000 करोड़ रुपये जमा करवाए गए थे।
ऐसे में आज कोर्ट ने इसी SEBI-सहारा फंड से निवेशकों को उनकी राशि लौटाने को कहा है।
वसूली
सहारा समूह से SEBI ने वसूला 6.57 करोड़ रुपये का लंबित बकाया
SEBI ने जून 2022 में सहारा समूह की इन दोनों कंपनियों पर वित्तीय अनियमितताओं के चलते करीब 6 करोड़ रुपये का जुर्मान लगाया था। बीते मंगलवार को SEBI ने सहारा समूह प्रमुख और अन्य से ब्याज समेत 6.57 करोड़ रुपये का लंबित बकाया वसूल कर लिया है।
बाजार नियामक SEBI ने सहारा समूह द्वारा निवेशकों को ऑप्शनली फुली कनवर्टीबल डिबेंचर (OFCD) जारी करने में नियमों का उल्लंघन करने के मामले में यह वसूली की है।
आरोप
निवेशकों के कब से फंसे हैं पैसे ?
सहारा समूह की हाउसिंग कंपनी SHICL और रियल स्टेट कंपनी SIRECL ने मार्च 2008 और अक्टूबर 2009 में निवेशकों से कई करोड़ रुपये जुटाए थे। वित्तीय अनियमितता को देखते हुए SEBI ने 24 नवंबर, 2010 को सहारा ग्रुप पर पब्लिक से पैसा जुटाने पर पाबंदी लगा दी थी।
इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जिसके बाद कोर्ट ने सहारा ग्रुप को निवेशकों के पैसे 15 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया था।
जेल
2 साल अधिक समय जेल में बीता चुके हैं सुब्रत राय
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 को अपने आदेश में कहा था कि सहारा समूह की कंपनियों ने SEBI के कानूनों का उल्लंघन किया है और कंपनियां निवेशकों को भुगतान करने में विफल रही हैं।
ऐसे में कोर्ट ने सहारा समूह प्रमुख सुब्रत राय को जेल भेज दिया और 2 साल अधिक का समय वह जेल में काट चुके हैं, उन्हें अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए पहली बार परोल मिली थी। वह 6 मई, 2017 से पेरोल पर हैं।