स्वामी चिन्मयानंद से छिनेगा संत का दर्जा, संत समाज से किया जाएगा बाहर
अपने कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोपी भारतीय जनता पार्टी के नेता स्वामी चिन्मयानंद को मिला 'संत' का दर्जा छिन सकता है। संत समाज की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) चिन्मयानंद को संत समाज से बाहर करने के लिए पूरी तरह तैयार है और इस पर जल्द ही मुहर लग सकती है। संत समाज से बाहर किए जाने के बाद चिन्मयानंद अपने नाम के आगे स्वामी या संत नहीं लगा सकेंगे।
10 अक्टूबर को ABAP की आधिकारिक बैठक में लगेगी फैसले पर मुहर
शनिवार को परिषद की बैठक के बाद ABAP अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने बताया कि चिन्मयानंद को संत समाज से बाहर करने का फैसला लिया गया है और 10 अक्टूबर को हरिद्वार में होने जा रही ABAP की आधिकारिक बैठक में इस पर मुहर लगेगी।
निर्दोष साबित न होने तक संत समाज से बाहर रहेंगे चिन्मयानंद
इस दौरान महंत गिरी पूरे घटनाक्रम पर सख्त तेवर में नजर आए और चिन्मयानंद के कृत्यों को बेहद शर्मनाक और निंदनीय बताया। उन्होंने कहा, "चिन्मयानंद ने अपनी गलती मान ली है और संत समाज के लिए इससे अधिक शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता।" महंत गिरी ने बताया कि जब तक मामले पर कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता और चिन्मयानंद मामले में निर्दोष साबित नहीं हो जाते, तब तक वह संत समाज से बाहर रहेंगे।
महानिर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर चिन्मयानंद
चिन्मयानंद अभी महानिर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर हैं। अगर उन्हें संत समाज से बाहर निकाला जाता है तो उनका ये पद भी चला जाएगा और वह अपने नाम के आगे 'संत' या 'स्वामी' नहीं लगा पाएंगे। 73 वर्षीय चिन्मयानंद अयोध्या आंदोलन में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं और योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैधनाथ के साथ आंदोलन में हिस्सा लिया था। वह जनवरी 1986 में राम जन्मभूमि आंदोलन संघर्ष समिति के संयोजक बने थे।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एसएस लॉ कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा ने कॉलेज के चेयरमैन चिन्मयानंद पर रेप का आरोप लगाया है। छात्रा का आरोप है कि चिन्मयानंद ने उसका नहाते समय का वीडियो बना लिया और इसके जरिए ब्लैकमेल करते हुए एक साल तक उसका रेप किया। छात्रा ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए वीडियो सबूत भी पेश किए हैं, जिन्हें उसने अपने चश्मे में लगे कैमरे से बनाया था।
चिन्मयानंद ने कबूल किए अधिकतर आरोप
छात्रा की शिकायत और कोर्ट में गवाही देने के बाद मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) ने शुक्रवार को चिन्मयानंद को शाहजहांपुर स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया। SIT की पूछताछ में चिन्मयानंद ने अपने ऊपर लगे अधिकतर आरोप स्वीकार कर लिए और कहा कि वह अपने कृत्य पर शर्मिंदा हैं। मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए चिन्मयानंद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा है।
रेप की धारा नहीं लगाने पर उठ रहे सवाल
इस बीच चिन्मयानंद पर रेप की धारा 376 की जगह धारा 376 C लगाए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं। जहां कई लोग इसे चिन्मयानंद को बचाने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं, वहीं कानून विशेषज्ञों ने SIT के इस फैसले को सही बताया है। उनका कहना है कि मामले की जटिलता को देखते हुए चिन्मयानंद के खिलाफ रेप के आरोपों को साबित करने में मुश्किल हो सकती थी और पीड़ित पक्ष हार भी सकता था।
किस मामले में लगती है धारा 376 C?
किसी संस्थान के संचालक के उसके अधीन महिला पर दवाब बनाकर सेक्स के लिए राजी करने के आरोप में धारा 376 C लगाई जाती है। इसमें 5-10 साल की कैद का प्रावधान है। धारा 376 में आरोपी को न्यूनतम 10 साल की सजा होती है।