तीन तलाक की शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंची पत्नी तो पति ने जिंदा जला दिया
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश में एक महिला को तीन तलाक की शिकायत लेकर पुलिस के पास जाने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
दरअसल, एक 22 वर्षीय महिला को उसके पति ने फोन पर तीन तलाक दिया था।
इसकी शिकायत लेकर महिला ने पुलिस से गुहार लगाई। पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की और उसे समझाकर अपने पति के साथ रहने को कहा।
जब उसके पति को इसका पता चला तो उसने महिला को मिट्टी का तेल डालकर जला दिया।
मामला
पुलिस ने शिकायत दर्ज करने की बजाय पीड़िता को घर भेजा
यह घटना शुक्रवार को राज्य के श्रावस्ती जिले में हुई। पीड़िता के परिवार ने बताया कि मुंबई में रहने वाले सईदा के पति नफीस ने उसको तीन तलाक दिया था।
सईदा इसकी शिकायत लेकर पुलिस के पास गई। पुलिस ने शिकायत दर्ज करने की बजाय सईदा को समझाकर वापस घर भेज दिया।
पुलिस ने दंपत्ति को कुछ दिन बाद आने को कहा। पुलिस के कहने का बाद भी नफीस ने सईदा को जाने को कह दिया।
हैवानियत
सईदा की बेटी के सामने लगाई गई आग
बतौर मीडिया रिपोर्ट्स, इस बात को लेकर पति-पत्नी के बीच झगड़ा बढ़ता गया। शुक्रवार को नफीस ने सईदा के बाल पकड़े और नफीस के घरवालों ने मिट्टी का तेल उड़ेल दिया।
सईदा की 5 वर्षीय बेटी ने हैवानियत का कृत्य अपनी आंखों से देखा।
दंपत्ति की बच्ची ने बताया, "मेरे दादा, दादी और चाची आए। मेरे पिता ने मां के बाल पकड़कर पीटा। इसी दौरान मेरी दो चाचियों ने मां पर केरोसिन छिड़क दिया और दादी ने आग लगा दी।"
जांच
मामले में अभी तक नहीं हुई कोई गिरफ्तारी
पुलिस ने पीड़िता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और पीड़िता के ससुरालवालों के खिलाफ दहेज और उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने कहा कि इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस द्वारा केस दर्ज नहीं करने पर अधिकारियों ने बताया कि इसकी जांच की जाएगी।
पुलिस अधीक्षक (SP) ने कहा कि तीन तलाक के आरोपों की भी जांच की जाएगी।
तीन तलाक कानून
कानूनी अपराध है तलाक-ए-बिद्दत
इस कानून के तहत तलाक-ए-बिद्दत को दंडनीय अपराध बना दिया गया है। इसे 'इंस्टेंट तलाक' या मौखिक तलाक भी कहते हैं।
नए कानून के तहत तत्काल तीन तलाक देने वाले पति को अधिकतम 3 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
मजिस्ट्रेट को पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार दिया गया है।
मुकदमे से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है।