सुप्रीम कोर्ट का मुहर्रम पर जुलूस निकालने की अनुमति देने से इनकार, खारिज की याचिका
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुहर्रम पर देशभर में जुलूस निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
जुलूस निकालने की अनुमति देने से संबंधित याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इससे देश में अराजकता फैलेगी और एक समुदाय विशेष को कोरोना वायरस महामारी फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने के लिए भी कहा है।
टिप्पणी
याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी
HT के अनुसार मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, "पूरे देश के लिए सामान्य निर्देश देना संभव नहीं है। यह अराजकता पैदा करेगा। इसके अलावा कोरोना महामारी के प्रसार के लिए उस विशेष समुदाय को जिम्मेदार ठहराया जाएगा ... हम ऐसा नहीं चाहते हैं।"
पीठ ने कहा कि अनुमति पूरा समुदाय मुश्किल में आ जाएगा। इसी तरह याचिकाकर्ता मुस्लिम धर्मगुरु कल्बे जवाद ने राज्यों को पार्टी नहीं बनाया है।
उदाहरण
याचिकाकर्ता ने जगन्नाथ यात्रा और जैन मंदिरों का दिया उदाहरण
उत्तर प्रदेश के सैयद कल्बे जवाद ने याचिका दाखिल कर देशभर में शनिवार और रविवार को मुहर्रम जुलूस की इजाजत मांगी थी।
इसमें उन्होंने पर्यूषण पर्व के लिए जैन समुदाय को दी गई रियायत और जगन्नाथ रथ यात्रा की अनुमति का उदाहरण दिया था।
इस पर पीठ ने कहा कि जगन्नाथ यात्रा में एक जगह पर और एक रुट तय था। उसके लिए खतरे का आंकलन कर आदेश दिया था। जबकि, मुहर्रम जुलूस पूरे देश में निकाला जाएगा।
टिप्पणी
पूरे देश के स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाला जा सकता- सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह सभी लोगों को स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाल सकते। अगर याचिकाकर्ता ने एक जगह के लिए इजाजत मांगी होती तो वह उस खतरे का आकलन कर सकते थे।
कोर्ट ने देशभर में इजाजत की कठनाई के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य सरकारें भी इस याचिका के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में कोर्ट पूरे देश में मुहर्रम पर जुलूस निकालने की अनमति नहीं दे सकती है।
दलील
याचिकाकर्ता ने अनुमति के लिए दी यह दलील
मामले में याचिकाकर्ता जावद के वकील अजीम एच लस्कर ने बताया कि सातवीं शताब्दी में कर्बला की लड़ाई में पैगंबर के पोते हुसैन और उनके परिवार के अन्य सदस्यों की हत्या पर शोक व्यक्त करने के लिए शिया मुसलमान मुख्य रूप से मोहर्रम पर जुलूस निकालते हैं। यह प्रमुख धार्मिक मामला है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि लखनऊ में जुलूस के लिए वह इलाहबाद हाईकोर्ट जा सकते हैं, क्योंकि वहां की स्थिति के बारे में वह नहीं जानते हैं।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले भी की थी एक अन्य याचिका पर सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले भी ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई की थी। उस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता सिप्ते मोहम्मद को याचिका में सभी राज्यों को शामिल करने और चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिए लगाने के लिए कहा था।