सियाचिन: शनिवार को मिले 38 साल पहले लापता हुए सैनिक के अवशेष
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध स्थल सियाचिन पर 1984 में लापता हुए एक सैनिक के अवशेष 38 साल बाद पाए गए हैं। भारतीय सेना में लांस नायक रहे चंद्रशेखर 25 मई, 1984 को सियाचिन में एक बर्फीले तूफान की चपेट में आ गए थे। करीब 38 साल बाद शनिवार को सियाचिन में गश्त कर रही एक टीम को उनके अवशेष मिले। उत्तराखंड के हल्दवानी में रह रहे चंद्रशेखर के परिवार को इसकी सूचना दे दी गई है।
सात जवानों और एक अधिकारी के साथ लापता हुए थे चंद्रशेखर
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि सियाचिन पर गश्त कर रही एक टीम अचानक आए बर्फीले तूफान में दब गई। इसमें एक अधिकारी और सात जवान शामिल थे। यह संभवत: सियाचिन का पहला हादसा था। हादसे के बाद पांच शव नहीं मिल पाए थे। उन्होंने बताया कि 13 अगस्त को भारतीय सेना की एक गश्ती टीम को टूटे हुए बंकर में कंकाल और आइडेंटिटी डिस्क मिली। इसी डिस्क के जरिये चंद्रशेखर की पहचान संभव हो सकी है।
क्या होती है आइडेंटिटी डिस्क?
यह एक एल्युमिनियम से बनी डिस्क होती है, जिस पर सैनिक का नंबर लिखा होता है। किसी भी मिशन पर भेजने से पहले सैनिकों को यह डिस्क पहननी होती है। किसी हादसे की सूरत में यह पहचान करने में मददगार साबित होती है।
चंद्रशेखर की पत्नी ने क्या कहा?
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, लांस नायक चंद्रशेखर की पत्नी शांति देवी ने बताया कि 19 कुमाऊं रेजीमेंट ने उन्हें रविवार को अवशेषों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह बात सुनने के बाद वो बहुत देर तक कुछ नहीं बोल पाई। 38 साल बाद सारे जख्म फिर से हरे हो गए। उन्होंने कहा, "जब वो लापता हुए, मेरी उम्र 25 साल थी। 1975 में हमारी शादी हुई थी।" आज शांति देवी की उम्र 63 साल हो गई है।
परिवार कर चुका है तर्पण
शांति देवी ने बताया कि चंद्रशेखर के लापता होने के समय उनकी एक बेटी चार साल और दूसरी डेढ़ साल की थी। उन्होंने कहा, "हमने उनका (चंद्रशेखर) का तर्पण कर दिया और मैंने अपनी पूरी जिंदगी बच्चों को बड़ा करने में लगा दी। इस दौरान कई चुनौतियां और बाधाएं आईं, लेकिन मैंने एक शहीद की बहादुर पत्नी और गौरवान्वित मां की तरह अपने बच्चों को पाला है।" उन्होंने बताया कि मंगलवार तक उनके पति के अवशेष घर पहुंच जाएंगे।
बेटी ने छोड़ दी थी उम्मीद
चंद्रशेखर की बड़ी बेटी कविता ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा वो खुश हों या दुखी। उन्होंने बताया, "हमें उम्मीद नहीं थी कि इतने सालों बाद वो मिलेंगे। हमें बताया कि गया कि आइडेंटिटी डिस्क की मदद से उनकी पहचान हुई है। उनके अवशेष मिलने के बाद अब हमें शांति मिली हैं। पापा अब घर आ रहे हैं, लेकिन मैं चाहती हूं कि वो जिंदा घर लौटते और हम सबके साथ मिलकर स्वतंत्रता दिवस मनाते।"