सबसे बड़े विवाद का निपटारा करने वाले रंजन गोगोई हुए रिटायर, जानें अहम फैसले और विवाद
क्या है खबर?
न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े आज देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) बने।
उनके पूर्ववर्ती रंजन गोगोई का कल CJI के तौर पर अंतिम दिन था।
शनिवार और रविवार का अवकाश होने के कारण उन्होंने शुक्रवार को आखिरी बार CJI के तौर पर मामलों की सुनवाई की थी।
अपने कार्यकाल में रंजन गोगोई ने अयोध्या विवाद समेत कई अहम मसलों पर फैसले सुनाए।
आइए उनके ऐसे ही कुछ फैसलों और CJI बनने तक के उनके सफर के बारे में जानते हैं।
परिचय
दिल्ली के सेंट स्टीफरंस कॉलेज से पढ़े हैं गोगोई
18 नवंबर, 1954 को जन्मे रंजन गोगोई ने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन की है। उन्होंने लॉ की डिग्री भी दिल्ली विश्वविद्यालय से हासिल की है।
लॉ डिग्री हासिल करने के बाद वो अपने राज्य असम वापस लौट गए और 1978 में गुवाहाटी हाई कोर्ट बार से जुड़े।
2001 में उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट में स्थाई जज बनाया गया।
2010 में बतौर जज उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट भेज दिया गया।
जानकारी
लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते रहे गोगोई
अगले ही साल 2011 में गोगोई पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बन गए। 2012 में उनका प्रमोशन करते हुए सुप्रीम कोर्ट भेज दिया गया। 3 अक्टूबर, 2018 को वो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने।
दिलचस्प किस्सा
जब पिता ने कहा- मेरा बेटा भारत का मुख्य न्यायाधीश बनेगा
रंजन गोगोई से जुड़ा हुआ एक दिलचस्प किस्सा भी है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
दरअसल, गोगोई के पिता केशव चंद्र गोगोई कांग्रेस के बड़े नेता थे और 1982 में कुछ समय के लिए असम के मुख्यमंत्री भी रहे थे।
जब केशव चंद्र के एक साथी ने कहा कि उनके बेटे को राजनीति में आना चाहिए तो उन्होंने कहा था, "मेरा बेटा कभी राजनीति में नहीं आएगा। शायद एक दिन वो भारत का मुख्य न्यायाधीश जरूर बनेगा।"
अहम फैसले
अयोध्या जमीन विवाद पर दिया गया फैसला रहा सबसे अहम
CJI के तौर पर रंजन गोगोई ने कई बड़े अहम फैसले दिए, लेकिन जिस एक फैसले के लिए उनका नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया जाएगा, वो है अयोध्या जमीन विवाद पर दिया गया फैसला।
गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने मामले में रोजाना सुनवाई करते हुए लगातार 40 दिन सुनवाई की थी।
इससे पहले मध्यस्थता के जरिए विवाद को सुलझाने की कोशिश भी की गई जो असफल साबित हुई।
अयोध्या विवाद फैसला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बंद किए राजनीति के सारे दरवाजे
CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 9 नवंबर को अयोध्या विवाद में फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट के हवाले करने का फैसला सुनाया था।
इसके अलावा मस्जिद निर्माण के लिए मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने मामले पर राजनीति की सारी संभावना को बंद करते हुए शांति के दरवाजे खोले थे।
राफेल मामला
दो बार खारिज कीं राफेल सौदे में जांच की मांग करने वाली याचिकाएं
इसके अलावा रंजन गोगोई राफेल सौदे में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को दो बार खारिज करने वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच के अध्यक्ष भी रहे।
सबसे पहले गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 14 दिसंबर, 2018 को 59,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल विमान खरीद के सौदे में जांच की याचिकाओं को खारिज किया था।
इसके बाद मामले में पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं जिन्हें 14 नवंबर, 2019 को खारिज कर दिया गया।
अन्य मामले
इन मामलों में भी दिए अहम फैसले
CJI के तौर पर रंजन गोगोई असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) लागू करने के कामकाज की निगरानी कर रही सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा भी रहे और NRC प्रक्रिया में कमियां होने की खबरों के बीच वो इसे लागू करने को लेकर सख्त रहे।
इसके अलावा उन्होंने CJI के सूचना के अधिकार (RTI) कानून के दायरे में आने संबंधी ऐतिहासिक फैसला भी सुनाया।
उन्होंने कहा कि पारदर्शिता से न्यायापालिका की स्वतंत्रता में कमी नहीं आती।
जानकारी
सबरीमाला मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर भी की सुनवाई
सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश का अधिकार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर भी गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की मामले को सात सदस्यीय बेंच के पास भेजा गया है।
विवाद
अप्रैल में महिला कर्मचारी ने लगाए थे यौन उत्पीड़न के आरोप
CJI के तौर पर गोगोई का कार्यकाल विवादों से भी अछूता नहीं रहा।
इसी साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने 22 जजों को हलफनामा भेजकर गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाया था।
महिला का आरोप था कि गोगोई ने अक्टूबर 2018 को अपने घर वाले दफ्तर पर उसका उत्पीड़न किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में एक तीन सदस्यीय "गैर-न्यायिक" आंतरिक जांच कमिटी का गठन कर दिया, जिसने गोगोई को क्लीन चिट दे दी।
जानकारी
अभूतपूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले न्यायाधीशों में शामिल थे गोगोई
वहीं CJI बनने से पहले भी रंजन गोगोई अभूतपूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में शामिल रहे थे। इसमें सुप्रीम कोर्ट में केसों के बंटवारे को तत्कालीन CJI दीपक मिश्रा पर सवाल खड़े किए गए थे।