मुगल वंशज होने का दावा करने वाले हबीबुद्दीन का प्रस्ताव, रखेंगे राम मंदिर की पहली ईंट
क्या है खबर?
मुगल वंश के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर का वंशज होने का दावा करने वाले याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने अयोध्या में राम मंदिर की पहली ईंट रखने का प्रस्ताव दिया है।
उन्होंने मंदिर की नींव के लिए सोने की ईंट दान करने की बात कही है।
तुसी ने विवादित जमीन को उनके हवाले किए जाने की बात भी कही क्योंकि मुगल वंशज होने के नाते वह उस जमीन के सही मालिक है।
याचिका
अयोध्या विवाद में पक्षकार बनने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुके हैं तुसी
रविवार को एक इंटरव्यू में तुसी ने कहा, "जिस जमीन को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है, उसके मालिकाना हक के कागज किसी और के पास नहीं हैं। ऐसे में मुझे यह अधिकार है कि मैं मुगल वंश का वंशज होने की हैसियत से अदालत में अपनी बात कर सकूं।"
बता दें कि तुसी भारतीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें अयोध्या जमीन विवाद मामले में पक्षकार बनाने की मांग की है, जिस पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है।
वादा
"पूरी जमीन को करेंगे राम मंदिर के लिए दान"
मंदिर निर्माण का समर्थन करते हुए तुसी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट जमीन उनके हवाले करती है तो वह पूरी जमीन को राम मंदिर बनाने के लिए दान कर देंगे क्योंकि वह हिंदुओं की भावना का सम्मान करते हैं।
उन्होंने कहा है कि अगर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होता है तो हमारा परिवार उसकी पहली ईंट रखेगा और हम मंदिर की नींव के लिए सोने की शिला दान करेंगे।
माफी
राम मंदिर विध्वंस के लिए हिंदुओं से माफी मांग चुके हैं तुसी
तुसी 3 बार अयोध्या आ चुके हैं और इस दौरान उन्होंने अस्थाई मंदिर में पूजा की थी।
पिछले साल अपनी आखिरी यात्रा में भी उन्होंने कहा था कि मुगल वंशज होने के नाते उन्हें विवादित जमीन का मालिक माना जा सकता है।
उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए जमीन दान करने का वादा किया था और राम मंदिर विध्वंस के लिए हिंदू समुदाय से माफी मांगी थी।
माफी के प्रतीक के तौर पर उन्होंने 'चरण पादुका' अपने सिर पर रखी थीं।
अयोध्या जमीन विवाद
2.77 एकड़ जमीन को लेकर है अयोध्या में विवाद
बता दें कि अयोध्या में मुख्य विवाद 2.77 एकड़ जमीन को लेकर है।
इसमें तीन पक्षकार हैं- सुन्नी वक्फ बोर्ड (मुस्लिम पक्ष), राम लला विराजमान (हिंदू पक्ष) और निर्मोही अखाड़ा।
अभी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच मामले पर रोजाना सुनवाई कर रही है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के जरिए विवाद का समाधान करने का प्रयास किया, लेकिन ये असफल रहा।