राजस्थान: पुलिस थाने से चोरी हुए उपनिरीक्षक के गहने और नकदी, साथी पुलिसकर्मियों पर FIR
लोगों की सुरक्षा के लिए गठित पुलिस यदि खुद की सुरक्षा न कर पाए तो उससे आम आदमी की सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजस्थान के कोटा शहर में, जहां के एक पुलिस थाने से वहां पर कार्यरत उपनिरीक्षक के गहने और नकदी चोरी हो गई। इस मामले को लेकर अब उपनिरीक्षक ने अपने साथी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कराते हुए नार्को टेस्ट कराने की मांग की है।
उपनिरीक्षक ने थाने में रखे थे 11 लाख के गहने और नकदी
सेवानिवृत्त उपनिरीक्षक रामकरण नागर ने FIR में कहा कि पिछले साल कोविड-19 के दौरान वह कोटा के गुमानपुर पुलिस थाने में तैनात थे। उस दौरान महामारी की वजह से उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। उसके बाद उन्होंने घर में रखे 1.5 लाख रुपये और 9.85 लाख रुपये कीमत के गहनों को बैंक लॉकर में रखने की योजना बनाई थी, लेकिन समय नहीं मिलने के कारण उन्होंने इसे थाने में अपनी टेबल के पास अलमारी में रख दिया था।
सेवानिवृत्ति से पहले चोरी हुए रुपये और गहने
नागर ने बताया कि उन्होंने अपने गहनों और नकदी की सुरक्षा के लिए अलमारी पर दो ताले भी लगा रखे थे। इस साल 31 जुलाई को होने वाली सेवानिवृत्ति को देखते हुए उन्होंने 16 जुलाई को गहने और नकदी को निकालने के लिए अलमारी खोली थी, लेकिन वह वहां नहीं मिले। इस पर उन्होंने उच्चाधिकारियों को मामले की सूचना दी और 31 अगस्त को पुलिस थाने में अपने साथी पुलिसकर्मियों के खिलाफ चोरी का मामला दर्ज करा दिया।
नागर ने साथी पुलिसकर्मियों पर लगाया आरोप
कोटा रेंज पुलिस महानिरीक्षक (IGP) प्रसन्न कुमार खमेसरा ने कहा, "सेवानिवृत्त उपनिरीक्षक नागर का आरोप है कि थाने की अलमारी में दो ताले होने के बाद भी उसके 11 लाख रुपये कीमत के गहने और नकदी चोरी हो गई। उन्होंने कमरे में साथ बैठने वाले अन्य पुलिसकर्मियों पर वारदात में शामिल होने का आरोप लगाया है और उनके नामों की सूची भी सौंपी है।" उन्होंने कहा, "नागर ने घटना में किसी बाहरी व्यक्ति के शामिल होने से इनकार किया है।"
नागर ने की नार्को टेस्ट की मांग
इधर, नागर ने उच्चाधिकारियों से मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने सच्चाई का पता लगाने के लिए आरोपी पुलिसकर्मियों का नार्को टेस्ट कराने के साथ अन्य वैज्ञानिक उपकरणों के इस्तेमाल की भी मांग की है। उन्होंने बताया कि उनका कमरा थाने के ड्यूटी अधिकारी और दैनिक डेयरी लेखक की डेस्क के पास स्थित था। ऐसे में वारदात में साथियों की मिलिभगत की संभावना अधिक है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
नार्को टेस्ट किसी अपराधी से सच उगलवाने के लिए किया जाता है। इसमें व्यक्ति को ट्रुथ ड्रग नाम की एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है। कई मामलों में सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन भी लगाया जाता है। खून में दवा पहुंचते ही व्यक्ति अर्धचेतना की अवस्था में पहुंच जाता है। उस व्यक्ति से अर्धमूर्छित अवस्था में टीम अपने पैटर्न से सवाल करती है। यह टेस्ट फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक की उपस्थिति में होता है।