क्या बच्चों को भी हो सकता है ब्लैक फंगस?
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस भी एक बड़ा खतरा बनकर उभरा है और ये देश में 12,000 से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। ब्लैक फंगस के मामलों में इस वृद्धि के बीच अभिभावकों को अपने बच्चों की चिंता होने लगी है और बच्चों में ब्लैक फंगस को लेकर उनके कई सवाल सामने आए हैं। चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि बच्चों को ब्लैक फंगस होने का कितना खतरा है।
सबसे पहले जानें क्या होता है ब्लैक फंगस
म्यूकरमायकोसिस या ब्लैक फंगस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है। यह म्यूकर फंगस के कारण होता है जो मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्ज़ियों में पनपता है। यह आम तौर पर उन लोगों को प्रभावित करते हैं जो लंबे समय दवा ले रहे हैं और जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। यह एक बहुत खतरनाक रोग है और इसकी मृत्यु दर लगभग 50 प्रतिशत है यानि ब्लैक फंगस से पीड़ित होने वाले लगभग आधे लोग मर जाते हैं।
किन कारणों से होता है ब्लैक फंगस?
ब्लैक फंगस ज्यादातर अनियंत्रित डायबिटीज के कारण होता है। दरअसल, अनियंत्रित डायबिटीज वाले लोगों की इम्युनिटी पहले से ही कमजोर होती है, ऐसे में ब्लैक फंगस उन्हें घेर लेता है। इसके अलावा कोरोना संक्रमितों के इलाज में स्टेरॉयड्स के अत्यधिक इस्तेमाल से भी ब्लैक फंगस होने का खतरा रहता है। स्टेरॉयड्स मरीज के इम्युनिटी सिस्टम को बहुत कमजोर कर देते हैं जिसकी वजह से ब्लैक फंगस उन्हें घेर लेता है। भारत में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले आए हैं।
बच्चों को ब्लैक फंगस का कितना खतरा?
चूंकि ब्लैक फंगस का सबसे अधिक खतरा अनियंत्रित डायबिटीज और कमजोर इम्युन सिस्टम वाले लोगों को होता है और बच्चों में ये दोनों ही समस्याएं बेहद कम पाई जाती हैं, इसलिए बच्चों को ब्लैक फंगस होने का खतरा भी कम है। हालांकि ऐसा नहीं है कि बच्चों को ब्लैक फंगस नहीं हो सकता और देश में कम से कम तीन बच्चों को ब्लैक फंगस से ग्रसित पाया जा चुका है। इनमें से दो अनियंत्रित डायबिटीज से जूझ रहे थे।
कहां-कहां सामने आए बच्चों में ब्लैक फंगस के मामले?
बच्चों में ब्लैक फंगल का पहला मामला गुजरात के एक 13 वर्षीय बच्चे में सामने आया था। यह बच्चा कोरोना से संक्रमित होकर उसे मात दे चुका था और इसके बाद उसे ब्लैक फंगस ने घेरा। इसके बाद हाल ही में कर्नाटक के बेल्लारी जिले में एक 11 वर्षीय बच्ची और चित्रदुर्ग में 14 वर्षीय लड़के को ब्लैक फंगस से ग्रसित पाया गया था। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, ये दोनों बच्चे एक्यूट जुवैनाइल डायबिटीज (AJD) से जूझ रहे थे।
बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए क्या करें अभिभावक?
भले ही बच्चों को ब्लैक फंगस होने का खतरा कम हो, लेकिन फिर भी अभिभावकों को सावधानी बरतनी चाहिए। बच्चों को ऐसी सभी चीजों और गतिविधियों से दूर रखें जिनसे उन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा हो। उन्हें घर से बाहर न जाने दें और अगर जाएं भी तो मास्क पहना कर भेजें। लौटने पर उन्हें पूरी तरह से सैनिटाइज करें। उन्हें आंख, नाक और मुंह से हाथ लगाने से भी रोकें। इसके अलावा ब्लैक फंगस के लक्षणों पर नजर रखें।