सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब, कहा- अब महिलाओं को भी मिलेगा NDA में प्रवेश
सेना में स्थायी कमीशन का इंतजार कर रही महिलाओं की बड़ी जीत हुई है। केंद्र सरकार ने इस दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए महिलाओं को सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन के लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) और नौसेना अकादमी में प्रवेश देने की अनुमति दे दी है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय सेना को उनकी भेदभाव भरी नीति के लिए फटकार लगाई थी।
अधिवक्ता कुश कालरा ने दायर की थी याचिका
बता दें कि महिलाओं को NDA और नौसेना अकादमी में प्रवेश नहीं दिए जाने के खिलाफ अधिकक्ता कुश कालरा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से पात्र महिलाओं को NDA और नौसेना अकादमी में प्रवेश नहीं देने के निर्णय को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि सरकार का यह रुख लिंग समानता के मौलिक अधिकार का पूरी तरह उल्लंघन है।
जेंडर के आधार पर बहिष्कार महिलाओं के समान अधिकारों का उल्लंघन
याचिकाकर्ता कालरा ने दलील दी थी कि महिलाओं को NDA में प्रशिक्षित करके स्थायी कमीशन अधिकारी के रूप में तैयार करने और देश के सशस्त्र बलों में शामिल करने में उन्हें जेंडर के आधार पर रोकना मौलिक अधिकार और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 और 19 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा था महिलाओं के साथ भेदभाव नही होना चाहिए। दिवंगत रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी महिलाओं को NDA में भर्ती किए जाने की वकालत की थी।
महिलाओं को जेंडर के आधार पर नहीं दी जाती परीक्षा में बैठने की अनुमति
याचिकाकर्ता कालरा ने कहा कि सेना अधिकारी अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों को NDA और नौसेना अकादमी परीक्षा में बैठने के लिए 12वीं परीक्षा की योग्यता रखते हैं, जबकि पात्र और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को उनके जेंडर के आधार पर परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाता है। उनके लिए स्नातक परीक्षा की योग्यता निर्धारित कर रखी है। संविधान में भी इस पर कोई उचित या न्यायसंगत स्पष्टीकरण नहीं है। उन्होंने कहा कि यह नियम महिलाओं को अपमानित करने के समान है।
सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को दी थी परीक्षा में बैठने की अनुमति
मामले में गत 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को भी NDA और नौसेना अकादमी में प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षा में बैठने देने का अंतरिम आदेश पारित कर दिया था। उस दौरान कोर्ट ने परीक्षा में बैठने के लिए बनाए गए नियमों को लेकर सेना और केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए उनके नियमों को लिंगभेद पर आधारित होना बताया था। उसके बाद 5 सितंबर को हुई परीक्षा में वह आदेश लागू हुआ था।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी फैसले की जानकारी
मामले में हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया, "मेरे पास एक खुशखबरी है कि रक्षा सेनाओं के प्रमुखों और सरकार ने आपसी बैठक में तय कर लिया है कि अब महिलाओं को NDA और नौसेना अकादमी में प्रशिक्षण के बाद स्थाई कमीशन अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया जाएगा।" उन्होंने कहा, "इसके लिए सरकार और सेना की ओर से नीति और प्रक्रिया तय की जा रही है।"
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया 10 दिन का समय
सुनवाई के दौरान ASG भाटी ने कहा कि महिलाओं को NDA पाठ्यक्रमों में शामिल करने के दिशा-निर्देशों में तैयार करने में सरकार को थोड़ा समय चाहिए। इस पर शीर्ष अदालत ने सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए 10 दिन का समय दे दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई सरकार के फैसले पर खुशी
सरकार के जवाब के बाद जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कहा, "हमें यह जानकर बेहद खुशी हुई कि सशस्त्र बलों ने खुद महिलाओं को NDA और नौसेना अकादमी में शामिल करने का फैसला किया है।" सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा, "हम चाहते हैं कि रक्षा बल लैंगिक समानता के प्रति अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाएं। बजाय इसके कि अदालत उन्हें ऐसा करने का निर्देश दे। यह महिलाओं के लिए बड़ी राहत है।"