प्रशांत भूषण ने एक रूपया जुर्माना देने के बाद फैसले के खिलाफ दायर की समीक्षा याचिका
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश को लेकर किए गए ट्वीट और अवमानना के मामले में दोषी पाए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सोमवार को अपनी जुर्माने की राशि एक रुपया जमा करा दी है।
इसके बाद उन्होंने अदालत का फैसला स्वीकार नहीं करते हुए इसके खिलाफ कोर्ट में समीक्षा याचिका भी दायर कर दी है।
इससे अवमानना मामले में नया मोड़ आ गया। उनके इस कदम ने साफ कर दिया कि वह कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है।
पृष्ठभूमि
प्रशांत भूषण ने जून में किए थे विवादित ट्वीट
प्रशांत भूषण ने जून में दो ट्वीट करते CJIs की आलोचना की थी। 27 जून के ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि बिना आधिकारिक आपातकाल के भारत में लोकतंत्र खत्म हो गया। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पिछले चार CJIs की भूमिका को चिन्हित किया जाएगा।
इसी तरह 29 जून के ट्वीट में उन्होंने CJI बोबड़े की हार्ले डेविडसन बाइक की सवारी करते हुए फोटो पोस्ट कर लिखा था कि CJI आनंद ले रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट बंद है।
सजा
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में लगाया था एक रुपये का जुर्माना
मामले में गत 20 और 24 अगस्त को सुनवाई में भूषण ने माफी मांगने से इनकार कर दिया था।
उन्होंने कहा था कि अभिव्यक्ति के लिए सशर्त या बिना शर्त की माफी निष्ठाहीन होगी।
इसके बाद 31 अगस्त को कोर्ट ने एक रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने 15 सितंबर तक जुर्माना राशि जमा नहीं कराने पर तीन महीने साधारण कारावास में भेजने और तीन साल के लिए वकालत करने पर रोक लगाने का भी बात कही थी।
बयान
जुर्माना राशि जमा कराने का मतलब कोर्ट के फैसले सहमत होना नहीं- भूषण
हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार भूषण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जाकर जुर्माने के रूप में एक रुपया जमा कराया। इसके बाद उन्होंने कहा कि जर्माना राशि जमा कराने का मतलब यह नहीं है कि वह कोर्ट के फैसले से सहमत हैं। वह फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करेंगे। इसके बाद उन्होंने फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर कर दी।
इसमें उन्होंने अदालत से पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने की अपील की है।
आधार
भूषण ने समीक्षा याचिका में कही यह बात
भूषण में समीक्षा याचिका में कहा है कि जस्टिस अरुण मिश्रा को अवमानना मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने पहले जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया था। उनमें सहारा डायरी में सामने आए राजनेताओं को कथित भुगतान की याचिका भी शामिल थी।
उन्होंने कहा कि उन्हें आशंका थी कि जस्टिस मिश्रा से निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने वकील द्वारा दाखिल याचिका को स्वत: संज्ञान मुकदमे में बदल दिया था।
आरोप
बचाव के लिए दिए जवाब पर कोर्ट ने नहीं दिया ध्यान
भूषण ने याचिका में कहा कि उन्होंने अपने बचाव में विस्तृत जवाब प्रस्तुत किया था, लेकिन अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए उनके जवाब की सामग्री को ध्यान में नहीं रखा। कोर्ट ने उन्हें अपने मामले को पेश करने का उचित अवसर भी नहीं दिया।
इस मामले में वकील महेश माहेश्वरी ने याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने उसकी समीक्षा के लिए एक कॉपी उन्हें नहीं दी थी। ऐसे में यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
याचिका
भूषण ने शनिवार को भी दायर की थी एक याचिका
प्रशांत भूषण ने शनिवार को भी एक याचिका दायर की, जिसमें मूल आपराधिक अवमानना मामलों के खिलाफ अपील का अधिकार था।
याचिका में उन्होंने मांग की है कि उनकी अपील पर सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी और अलग बेंच द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए। वकील कामिनी जायसवाल के माध्यम से दायर याचिका में उन्होंने आपराधिक अवमानना मामलों में मनमाना, तामसिक और उच्च-स्तरीय निर्णय की संभावना को कम करने के लिए प्रक्रियात्मक परिवर्तन का सुझाव दिया है।