1 जुलाई से लागू होंगे नए श्रम कानून, इन-हैंड सैलरी समेत इन चीजों में होगा बदलाव
क्या है खबर?
केंद्र सरकार 1 जुलाई से कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए नए श्रम कानून लागू करने जा रही है।
इन नए कानूनों से कर्मचारियों के काम करने के घंटों, इन-हैंड सैलरी, छुट्टियों और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में योगदान में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे।
आइए अब जानते है कि नए कानूनों के लागू होने के बाद आपकी इन-हैंड सैलरी पर क्या फर्क पड़ेगा, आपको कितने घंटे काम करना होगा और हफ्ते में कितनी छुट्टियां मिलेंगी।
काम
कर्मचारियों को हफ्ते में सिर्फ 48 घंटे करना होगा काम
सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों के काम के घंटों में बदलाव आएगा। नए श्रम कानूनों में अधिकतम 12 घंटे काम करवाने का प्रावधान है। हालांकि साप्ताहिक सीमा को 48 घंटे पर फिक्स रखा जाएगा।
इसका मतलब नई व्यवस्था के तहत अगर कर्मचारी रोज 12 घंटे काम करते हैं तो 4 दिन काम करके कर्मचारी को तीन दिन का वीकऑफ मिल सकेगा।
इसके अलावा ओवरटाइम के घंटों को भी एक तिमाही में 50 घंटे से बढ़ाकर 125 घंटे कर दिया गया है।
छुट्टी
नौकरी शुरू करने के 180 दिनों के बाद छुट्टी लेने के योग्य होंगे कर्मचारी
अभी तक किसी नए कर्मचारी को छुट्टियों के लिए योग्य होने के लिए कम से कम 240 दिन काम करना होता था, लेकिन नए श्रम कानूनों में छुट्टियों को लेकर भी एक बड़ा बदलाव किया गया है।
अब कोई भी कर्मचारी सिर्फ 180 दिनों में ही छुट्टी लेने के योग्य हो जाएगा। इसका मतलब अब छुट्टी पाने की योग्यता की सीमा तक पहुंचने के लिए आपको कम दिन काम करना होगा।
लीव पॉलिसी
अर्न्ड लीव पॉलिसी कैसी रहेगी?
छुट्टियों को कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
अभी तक कर्मचारियों को साल में 30 दिनों की छुट्टियों को कैरी फारवर्ड करने की सुविधा मिलती थी। नए कानून में यह व्यवस्था पहले की ही तरह लागू रहेगी।
उदाहरण के लिए, अगर साल के अंत में कर्मचारी के पास 45 छुट्टियां बची हैं तो इसमें से 30 छुट्टियां अगले साल कैरी फॉरवर्ड हो जाएंगी और बची हुई 15 छुट्टियों के पैसे मिलेंगे।
सैलरी
इन-हैंड सैलरी पर किस प्रकार फर्क पड़ेगा?
कर्मचारियों की इन-हैंड सैलेरी में काफी बदलाव आएगा क्योंकि नए कानूनों के तहत कर्मचारी के वेतन में मूल सैलरी यानी बेसिक सैलरी का हिस्सा 50 प्रतिशत तक हो जाएगा और बाकी का 50 प्रतिशत तमाम तरह के अलाउंस होंगे।
नए नियम से कर्मचारियों और नियोक्ताओं की तरफ से दिए जाने वाले प्रोविडेंट फंड (PF) योगदान में भी वृद्धि होगी।
रिटायरमेंट के लिहाज से विशेषज्ञ इस बदलाव को अच्छा मान रहे हैं।
नाम
चार नए श्रम कानूनों के नाम क्या हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 44 श्रम कानूनों का केंद्र सरकार ने चार कोड में विलय किया है।
सरकार ने कोड ऑफ वेजेज 2019 को 8 अगस्त, 2019 को नोटिफाई किया था।
इसके बाद इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020 को 29 सितंबर, 2020 को नोटिफाई किया था।
जानकारों के मुताबिक, इन नए कानूनों के लागू होने से देश में रोजगार बढ़ने के साथ-साथ श्रम बाजार में सुधार होगा।
ड्राफ्ट
फरवरी, 2021 में तैयार किया गया था नए श्रम कानूनों का ड्राफ्ट
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने इन चारों श्रम कानूनों का फाइनल ड्राफ्ट फरवरी, 2021 में ही तैयार कर लिया था।
हालांकि, कुछ राज्यों ने अभी तक चारों श्रम कानूनों के तहत नियम नहीं बनाए हैं। श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि केवल 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) ने वेतन कानून के तहत मसौदा नियमों को प्रकाशित किया है।