ब्रिटेन में 'नागा मानव खोपड़ी' की हो रही थी नीलामी, विरोध के बाद बिक्री वापस
क्या है खबर?
ब्रिटेन के एक नीलामी घर ने ऑनलाइन बेच रहे 'नागा मानव खोपड़ी' को नागालैंड के विरोध के बाद वापस ले लिया है और बिक्री सूची से हटा दिया है।
यह कदम तब उठाया गया, जब फोरम फॉर नागा रिकंसिलिएशन (FNR), एक नागा चर्च और नागरिक समाज संगठन ने ऑक्सफोर्डशायर में स्वान नीलामी घर को पत्र लिखकर नीलामी रोकने और खोपड़ी वापस करने की मांग की।
नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने भी केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
नीलामी
रियो ने अपने पत्र में क्या लिखा?
रियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र में लिखा, 'ब्रिटेन में नागा मानव अवशेषों की प्रस्तावित नीलामी की खबर को सभी वर्गों ने नकारात्मक रूप से लिया है क्योंकि यह हमारे लोगों के लिए अत्यधिक भावनात्मक और पवित्र मुद्दा है। मृतकों के अवशेषों को सर्वोच्च सम्मान और आदर देना हमारे लोगों की पारंपरिक प्रथा रही है। मामले को लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के समक्ष उठाया जाए, ताकि नीलामी रुक सके। FNR ने भी चिंता जताई है।'
चिंता
FNR ने क्या कहा?
FNR के संयोजक वती अयेर ने कहा कि 19वीं सदी में नागालैंड पर कब्जा करने वाले ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासकों और सैनिकों ने मानव अवशेषों को अपने साथ ले लिया, क्योंकि नागा लोगों ने उनके दंडात्मक अभियानों का विरोध किया था।
अयेर ने बताया कि ये मानव अवशेष उस हिंसा का प्रतीक हैं जो ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता ने नागा लोगों पर ढाया था।
ब्रिटिश शासन के दौरान नागा लोगों को बर्बर और शिकारी के रूप में परिभाषित किया गया था।
विवाद
क्या है मामला?
ऑक्सफोर्डशायर के टेट्सवर्थ में स्वान नीलामी घर में 'द क्यूरियस कलेक्टर सेल, एंटीक्वेरियन बुक्स, मैनुस्क्रिप्ट्स एंड पेंटिंग्स' के तहत दुनियाभर से आई खोपड़ियों और अन्य अवशेषों की एक श्रृंखला रखी गई।
'19वीं सदी की सींग वाली नागा मानव खोपड़ी, नागा जनजाति' को लॉट नंबर 64 के रूप में रखा गया, जिसके बाद नागालैंड में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए।
नीलामी मानवशास्त्र और आदिवासी संस्कृतियों पर ध्यान केंद्रित करने वाले संग्रहकर्ताओं के लिए थी। इसकी शुरुआती बोली लगभग 2.30 लाख रुपय थी।