भारत के पांच प्रमुख अनोखे गांव, जहां की विचित्रता आपको कर देंगी हैरान
जो बात गांव में है..वो बात शहर में कहां, जनाब! सही तो कहा हमनें, तभी तो भारत को गांवों का देश कहा जाता है। यहीं पर भारत का देसीपन और यहां के लोगों का अपनापन महसूस किया जा सकता है। हालांकि, यहां के कुछ गांव ऐसे हैं, जो खूबसूरत और शांतिपूर्ण वातावरण सहित अपनी विचित्र बातों के कारण मशहूर हैं। आइए भारत के पांच सबसे अनोखे गांवों की विचित्रताओं के बारें में जानते हैं।
मत्तूर गांव
मत्तूर गांव कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में स्थित है। भले ही कर्नाटक की आधिकारिक भाषा कन्नड़ है, लेकिन इस गांव के निवासी संस्कृत के साथ सहज हैं। इसमें विचित्र बात यह है कि संस्कृत एक प्राचीन भारतीय भाषा है, जो अब सक्रिय रूप से बोली जाने वाली भाषा नहीं है। भारत के कुछ स्कूलों में एक विषय के रूप में संस्कृत है, लेकिन भारत में कहीं भी संस्कृत का इस्तेमाल धार्मिक समारोहों तक सीमित है।
लोंगवा गांव
लोंगवा गांव नागालैंड के मोन जिले में स्थित है। यह राज्य के सबसे बड़े गांवों में से एक है। इस गांव की अनोखी बात यह है कि यहां के ग्राम प्रधान का घर भारत और म्यांमार के बीच भौगोलिक सीमा में स्थित है। वहीं, इस गांव के निवासियों के पास दोहरी नागरिकता है। बता दें कि इस गांव में ग्राम पंधान को स्थानीय रूप से राजा के नाम से भी जाना जाता है।
बड़वां कला गांव
बिहार के कैमूर हिल्स के बड़वां गांव की असामान्य लेकिन सच्ची कहानी है कि 50 वर्षों तक इस गांव में कोई शादी नहीं हुईं। इस गांव में इतने सारे अविवाहित पुरुषों के लिए यह स्थान मुख्य कारण था। दरअसल, 2017 से पहले इस गांव तक पहुंचने का एकमात्र तरीका 10 किमी का ट्रेक करना था। इसने कई दुल्हनों और उनके परिवारों को विचलित कर दिया, लेकिन ग्रामीणों ने आखिरकार एक सड़क खोद दी, जिससे अब यहां शादी संभव हो गई।
शनि शिंगणापुर गांव
अमूमन घरों में दरवाजे इसलिए होते हैं ताकि उनका घर सुरक्षित रहे, लेकिन महाराष्ट्र के शनि शिगनापुर गांव के निवासियों को इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह गांव बिना दरवाजे वाले गांव के रूप में लोकप्रिय है। यहां के निवासी हिंदू देवता शनि के सच्चे भक्त हैं। निवासियों का मानना है कि जो कोई भी इस गांव में किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाएगा, वह शनि देव का प्रकोप सहन करेगा।
खोनोमा गांव
नागालैंड में स्थित खोनोमा गांव को एशिया का पहला 'ग्रीन विलेज' माना जाता है। यह नागालैंड की राजधानी कोहिमा से 20 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। चारों ओर हरियाली से घिरा ये गांव लगभग 700 साल पुराना है। खोनोमा राज्य का पहला गांव है, जिसने शिकार और अवैध कटाई पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। अगर आप गौर से इस गांव को देखेंगे तो पाएंगे कि खोनोमा में बना हर घर एक दूसरे से जुड़ा है।