मुंबई: निर्भया कांड जैसे साकीनाका रेप केस में दोषी को सजा-ए-मौत
मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने आज साकीनाक में एक दलित महिला का रेप और हत्या करने वाले 44 वर्षीय मोहन चौहान को मौत की सजा सुनाई। पिछले साल के इस मामले में चौहान को सोमवार को दोषी पाया गया था और आज कोर्ट ने सजा का ऐलान किया। स्पेशल जज एचसी शेंडे ने हमले की क्रूरता का हवाला देते हुए इसे 'दुर्लभ से भी दुर्लभ' केस बताया और इसी को मौत की सजा का आधार बनाया।
क्या है साकीनाका रेप केस?
पिछले साल 9-10 सितंबर की रात मुंबई के साकीनाका में एक 32 वर्षीय महिला लहूलुहान अवस्था में सड़क किनारे पड़ी मिली थी। उसके साथ रेप किया गया था और आरोपी ने हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड भी डाली थी। घटना प्रकाश में आने के बाद इस मामले की तुलना दिल्ली के निर्भया कांड से की गई थी। एक दिन बाद ही पीड़िता ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।
पुलिस ने मात्र 18 दिन के अंदर दाखिल कर दी थी चार्जशीट
पुलिस ने CCTV कैमरों की मदद से आरोपी मोहन चौहान के तौर पर की थी और चंद घंटों के अंदर ही उसे दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने मात्र 18 दिन के अंदर मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इसमें कहा गया था कि महिला के उसके साथ सेक्स करने से इनकार करने के बाद मोहित ने उसके साथ रेप किया था। CCTV फुटेज में उसे पीड़िता पर रॉड से हमला करते हुए देखा जा सकता है।
अभियोजन पक्ष ने की थी चौहान को मौत की सजा देने की मांग
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने चौहान को मौत की सजा देने की मांग की थी। इसके पक्ष में दलील देते हुए उन्होंने कहा था कि ये यौन हमला भयानक था और इसमें उसके प्राइवेट अंगों पर क्रूरतापूर्वक हमला किया जो इतना गंभीर था कि इससे उसकी मौत हो गई। अभियोजन पक्ष ने यह भी कहा कि चौहान महिलाओं का सम्मान नहीं करता और इस घटना ने मुंबई में महिलाओं की सुरक्षा पर बड़े प्रश्न खड़े किए हैं।
बचाव पक्ष ने कहा- चौहान का कोई आपराधिक इतिहास नहीं, मामला दुर्लभतम नहीं
मोहन चौहान के वकील कल्पना वास्कर ने उसके बचाव में कहा था कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और अगर उसे मौत की सजा दी जाती है तो उसकी पत्नी समेत उस पर निर्भर लोगों को कष्ट सहना होगा। उन्होंने कहा था कि चौहान ने सुनवाई के दौरान पूरी तरह से सहयोग किया और इस अपराध को 'दुर्लभ से भी दुर्लभ' नहीं कहा जा सकता। हालांकि कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए मौत की सजा सुना दी।