मुंबई की सड़कों पर अब नहीं दिखेगी काली-पीली टैक्सी, जानें अहम बातें
दशकों तक मुंबई की पहचान रही काले-पीले रंग की प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी अब सड़कों पर दिखाई नहीं देगी। सोमवार को आधिकारिक तौर पर ये टैक्सियां शहर की सड़कों से हटा दी जाएंगी, जिन्हें प्यार से लोग 'काली-पीली' भी कहते हैं। आखिरी पद्मिनी टैक्सी को 29 अक्टूबर, 2003 को ताड़देव के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में पंजीकृत किया गया था। इसके मालिक अब्दुल करीम कारसेकर इसे 'मुंबई की शान' कहते हैं। आइए 'काली-पीली' टैक्सी के सफर के बारे में जानते हैं।
कैसे हुई पद्मनी टैक्सी के सफर की शुरुआत और कैसे पड़ा नाम?
मुंबई टैक्सीमैन यूनियन (MTU) के महासचिव एएल क्वाड्रोस ने बताया कि मुंबई में टैक्सी के रूप में प्रीमियर पद्मिनी की यात्रा 1964 में 'फिएट-1100 डिलाइट' मॉडल के साथ शुरू हुई, जिसमें एक शक्तिशाली 1200-CC इंजन था। उन्होंने बताया कि 1970 के दशक में मॉडल को प्रीमियर प्रेडिडेंट के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में भारतीय महारानी पद्मिनी के नाम पर इसका नाम पद्मिनी रखा गया। उन्होंने बताया कि इसके बाद टैक्सी के नाम में कोई बदलाव नहीं हुआ।
2001 में बंद हो गया था पद्मिनी टैक्सियों का निर्माण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रीमियर ऑटोमोबाइल लिमिटेड (PAL) नामक कंपनी प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी बनाती थी। ये टैक्सी प्लायमाउथ, लैंडमास्टर, डॉज और फिएट-1100 जैसी बड़ी टैक्सियों की तुलना में छोटी थी, इसलिए लोग इन्हें 'दुक्कर फिएट' कहते थे। क्वाड्रोस ने बताया कि 2001 में कंपनी ने प्रीमियर पद्मिनी का निर्माण करना बंद कर दिया था, लेकिन कुछ अपंजीकृत 100-125 टैक्सियों को 2003 में RTO से परमिट मिले थे। उन्होंने कहा कि अब उन परिमटों को भी खत्म कर दिया जाएगा।
कैसे मुंबई की पहचान से जुड़ीं काली-पीली टैक्सियां?
6 दशकों से यहां आने वाले यात्रियों के लिए काली-पीली टैक्सियां मुंबई की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा थीं। 'टैक्सी नंबर 9211', 'खाली-पीली' और 'आ अब लौट चले' जैसी बॉलीवुड फिल्मों में भी ये काली-पीली टैक्सियां दिखाई दीं और शहर की पहचान से जुड़ गईं। पुरानी टैक्सी के शौकीन डैनियल सिकेरा ने कहा कि ये मजबूत टैक्सी दशकों शहर के परिदृश्य का हिस्सा रही और पिछली कई पीढ़ियों का इनसे भावनात्मक जुड़ाव रहा, लेकिन अब ये यादों में ही जिंदा रहेंगी।
आखिरी प्रीमियर पद्मिनी के मालिक ने क्या कहा?
मुंबई में टैक्सी के चलने की अधिकतम आयु सीमा 20 साल है। इस तरह आखिरी प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी यानी 'काली-पीली' का आज मुंबई की सड़कों पर आखिरी दिन है। मुंबई की आखिरी पद्मिनी टैक्सी के मालिक कारसेकर कहते हैं कि ये टैक्सी मुंबई की शान है और उनकी जान है। उनकी टैक्सी की पंजीकरण संख्या MH-01-JA-2556 है। ये आधिकारिक तौर पर शहर की आखिरी पंजीकृत 'काली-पीली' टैक्सी थी, जो शहर की सड़कों पर दौड़ रही थी।
टैक्सी को संग्रहालय में रखकर संरक्षित करने की मांग
काली-पीली टैक्सी की विरासत को देखते हुए कुछ लोगों ने महाराष्ट्र सरकार से मांग की है कि शहर की विरासत का हिस्सा रही कम से कम एक प्रीमियर पद्मिनी टैक्सी को सड़क पर या संग्रहालय में संरक्षित किया जाना चाहिए। कुछ साल पहले शहर के सबसे बड़े टैक्सी चालक संघ MTU ने भी सरकार से कम से कम एक काली-पीली टैक्सी को संरक्षित करने के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन इसमें उसे कोई सफलता नहीं मिली।
न्यूजबाइट्स प्लस
हाल ही में मुंबई की सड़कों से लाल डबल-डेकर बसों को 15 साल की सेवा से बाद बाहर कर दिया गया है। ये बसें 1990 के दशक से मुंबई में आकर्षण का केंद्र बनी हुई थीं। बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) ने उच्च परिचालन खर्चों के कारण 2008 के बाद अपने बेड़े में डबल-डेकर बसें शामिल करना बंद कर दिया था। फरवरी, 2023 से BEST उनकी जगह बैटरी से चलने वाली डबल-डेकर बसें संचालित कर रहा है।