भारत में एक साल में 4.64 करोड़ लोगों को मिला रोजगार, RBI ने जारी किए आंकड़े
भारत में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर एक तरफ विपक्ष सरकार पर हमलावर खड़ा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से मंगलवार को जारी किए नौकरी के डाटा में एक साल में 6 प्रतिशत रोजगार वृद्धि होने का दावा किया है। RBI के डाटा के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में रोजगार की वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत थी, जो 2023-24 में बढ़कर 6 प्रतिशत हो गई है। ऐसे में आइए इस पूरी रिपोर्ट पर नजर डालते हैं।
साल 2023-24 में 4.67 करोड़ लोगों को मिला रोजगार
RBI के डाटा के अनुसार, उद्योग स्तर पर उत्पादकता को मापने वाले आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023-24 में देश में कार्यबल लगभग 4.67 करोड़ बढ़कर 64.33 करोड़ हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह 59.67 करोड़ ही था। बता दें कि इससे पहले सिटीग्रुप इंडिया की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया था कि देश 7 प्रतिशत की विकास दर से भी रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए संघर्ष करेगा।
RBI ने जारी किया KLEMS डाटा
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, RBI ने उद्योग स्तर पर उत्पादकता मापने के लिए आज भारत KLEMS पूंजी (K), श्रम (L), ऊर्जा (E), सामग्री (M) और सेवाएं (S) डाटाबेस जारी किया है। इसमें देश में साल 2023-24 में रोजगार वृद्धि दर दोगुनी होकर 6 प्रतिशत (अनंतिम) पर पहुंच गई है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 से देश में 7.8 करोड़ लोग रोजगार से जुड़े हैं, जबकि रोजगार वृद्धि दर 5.1 फीसदी रही थी।
RBI ने 27 उद्योगों को शामिल कर तैयार की रिपोर्ट
RBI के अनुसार, KLEMS डाटाबेस में संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था सहित 27 उद्योग शामिल हैं। यह डाटा व्यापक क्षेत्रीय स्तरों (कृषि, विनिर्माण और सेवाएं) और अखिल भारतीय स्तर पर भी अनुमान प्रदान करता है। इसमें सकल मूल्य वर्धित (GVA), आउटपुट का सकल मूल्य (GVO), श्रम रोजगार (L), श्रम गुणवत्ता (LQ), पूंजी स्टॉक (K), पूंजी संरचना (KQ), ऊर्जा की खपत (E), सामग्री (M) और सेवाएँ (S), श्रम उत्पादकता (LP) और कुल कारक उत्पादकता (TFP) भी शामिल है।
सिटीग्रुप की रिपोर्ट में क्या किया गया था दावा
सिटीग्रुप ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि भारत 7 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि के साथ भी अगले दशक में नौकरी की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं होगा। आधिकारिक बेरोजगारी दर केवल 3.2 प्रतिशत (16 प्रतिशत युवा) विवरण नौकरियों की गुणवत्ता और संभावित अल्परोजगारी के आसपास गंभीर मुद्दों को दर्शाता है। कुल रोजगार में कृषि का हिस्सा लगभग 46 प्रतिशत है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद का 20 प्रतिशत से कम है।
विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में कम है रोजगार के अवसर
सिटीग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र GDP में अपने हिस्से की तुलना में कम रोजगार का हिस्सा रखते हैं। गैर-कृषि नौकरियों में औपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी अकेवल 25 प्रतिशत है। केवल 21 प्रतिशत कामगारों के पास ही वेतनभोगी नौकरी है, जो कि कोरोना महामारी के पहले के 24 प्रतिशत से कम है। 2018 और 2023 के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की हिस्सेदारी 67 प्रतिशत रही, जो शहर की ओर पलायन कम होने का संकेत है।
सिटीग्रुप रिपोर्ट पर श्रम मंत्रालय ने क्या दी प्रतिक्रिया?
सिटीग्रुप की रिपोर्ट को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ओर से खंडन का सामना करना पड़ा। मंत्रालय ने कहा कि सिटीग्रुप की रिपोर्ट आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) और RBI के KLEMS के डाटा को ध्यान में रखने में विफल रही है। मंत्रालय ने कहा कि PLFS और KLEMS डाटा 2017-18 से 2021-22 के बीच 8 करोड़ से अधिक रोजगार मिलने का संकेत देते हैं। इस हिसाब से देश में हर साल औसतन 2 करोड़ से अधिक रोजगार मिले हैं।
क्या कहती है PLFS की ताजा रिपोर्ट?
मई 2024 में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी PLFS त्रैमासिक रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 15 साल से अधिक उम्र के युवाओं की बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2023 में 6.8 प्रतिशत से घटकर जनवरी-मार्च 2024 में 6.7 हो गई। इसी तरह महिला बेरोजगारी दर भी जनवरी-मार्च 2023 की 9.2 प्रतिशत से घटकर जनवरी-मार्च 2024 में 8.5 प्रतिशत हो गई। शहरी क्षेत्रों में श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) ने 48.5 प्रतिशत से बढ़कर 50.2 प्रतिशत हो गई है।