शीतकालीन सत्र: पहले हफ्ते में राज्यसभा का आधे से अधिक समय हुआ बर्बाद
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले हफ्ते में राज्यसभा का 52 प्रतिशत से अधिक समय विपक्ष के हंगामे के कारण बर्बाद हो गया। हालांकि गुरूवार और शुक्रवार को सदन की कार्यवाही लगभग सामान्य रही और इसने अगले हफ्ते सदन में अच्छा कार्य होने की संभावना को मजबूत कर दिया है। पहले हफ्ते में सदन में कुल दो विधेयक पारित हुए। इनमें कृषि कानूनों को रद्द करने वाला विधेयक और बांध सुरक्षा विधेयक शामिल रहें।
पहले हफ्ते में 47 प्रतिशत से अधिक रही राज्यसभा की उत्पादकता
सरकार के बयान के अनुसार, पिछले हफ्ते तय समय में राज्यसभा की उत्पादकता 47.70 प्रतिशत रही। इसका मतलब सदन के कुल तय समय में से 47.70 प्रतिशत समय सामान्य कार्यवाही चली। गुरूवार को सदन की कार्यवाही तय समय से 33 मिनट अधिक चली और इससे सदन की उत्पादकता बढ़कर 49.70 प्रतिशत हो गई। गुरूवार को सदन की कुल उत्पादकता 95 प्रतिशत रही, वहीं शुक्रवार को सदन ने शत-प्रतिशत काम किया। शुक्रवार को सदन में एक निजी विधेयक भी पेश हुआ।
पहले हफ्ते में क्यों बाधित हुई सदन की कार्यवाही?
शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने मानसून सत्र के आखिरी दिन "हिंसक व्यवहार" के लिए विपक्ष के 12 सांसदों को निलंबित कर दिया था। सरकार ने सांसदों के सामने निलंबन वापस लेने के लिए माफी मांगने की शर्त रखी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। विपक्ष ने इस कार्रवाई का जमकर विरोध किया और इसे अलोकतांत्रिक और नियमों के खिलाफ बताया। सरकार के निलंबन वापस न लेने पर विपक्ष कई बार सदन से वॉकआउट कर गया।
संसद परिसर में धरने पर बैठे हुए हैं निलंबित सांसद
निलंबित सांसद अभी भी निलंबन के खिलाफ संसद परिसर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरने पर बैठे हुए हैं। हालांकि सरकार ने सांसदों के माफी मांगने के बाद ही निलंबन वापस लेने की बात कही है।
इन सांसदों को किया गया है निलंबित
जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, उनमें कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह, रिपुन बोरा, फूलो देवी नेताम, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और छाया वर्मा शामिल हैं। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस (TMC) के डोला सेन और शांत छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई, माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एल्मारम करीम और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनाय विस्वाम शामिल हैं। प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने निलंबन को कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
लोकसभा में भी हुआ जमकर हंगामा
शीतकालीन सत्र के पहले हफ्ते में विपक्ष ने लोकसभा में भी जमकर हंगामा किया और इसकी कार्यवाही को भी कई बार स्थगित करना पड़ा। लोकसभा में हंगामे का मुख्य कारण कृषि कानून निरसन विधेयक रहा। विपक्ष इस पर चर्चा की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार ने बिना किसी चर्चा के चंद मिनटों के अंदर ही इसे पारित कर दिया। राज्यसभा में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई और विधेयक पर कोई चर्चा नहीं हुई।