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मोदी सरकार ने बीते साल विज्ञापनों पर खर्च किए 713 करोड़ रुपये, RTI से मिली जानकारी

मोदी सरकार ने बीते साल विज्ञापनों पर खर्च किए 713 करोड़ रुपये, RTI से मिली जानकारी

Nov 02, 2020
11:09 am

क्या है खबर?

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2019-20 में विज्ञापनों पर 700 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए थे। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी में पता चला है कि केंद्र सरकार ने बीते वित्त वर्ष अखबार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और बैनर आदि के जरिये विज्ञापन देने के लिए 713.20 करोड़ रुपये खर्च किए थे। रोजाना के औसत से यह राशि लगभग दो करोड़ रुपये होती है। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।

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इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर खर्च किए 317 करोड़ रुपये

जतिन देसाई द्वारा दायर की गई RTI के जवाब में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन आने वाले ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्यूनिकेशन ने बताया कि सरकार ने रोजाना विज्ञापनों पर औसतन 1.95 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह राशि 2019-20 वित्त वर्ष की है। ब्यूरो ने बताया कि इसमें से 295.05 करोड़ रुपये प्रिंट विज्ञापनों, 317.05 करोड़ रुपये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और 101.1 करोड़ रुपये आउटडोर विज्ञापनों के लिए खर्च किए गए थे।

जानकारी

विदेशी मीडिया पर खर्च हुई राशि की जानकारी नहीं

ब्यूरो ने सरकार द्वारा विदेश मीडिया में प्रचार के लिए विज्ञापनों पर खर्च की गई राशि की जानकारी नहीं दी है। हालांकि, इस वित्त वर्ष का खर्च पिछले सालों की तुलना में कम है। बीते सालों में ज्यादा रकम विज्ञापनों पर खर्च की गई थी।

विज्ञापनों पर खर्च

पिछले सालों के औसत से कम है इस बार का खर्च

पिछले साल जून में मुंबई में रहने वाले अनिल गलगली ने ऐसी ही जानकारी मांगी थी। उस RTI के जवाब में मंत्रालय ने बताया था कि उसने 2016-17 से लेकर 2018-19 के बीच प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और आउटडोर मीडिया पर 3767.26 करोड़ रुपये खर्च किए थे। अगर तीन सालों का औसत निकाला जाए तो ये हर साल 1,200 करोड़ रुपये से अधिक होता है। इस हिसाब से तुलना की जाए तो 2019-20 का खर्च कम है।

विज्ञापनों पर खर्च

2014-18 के बीच सरकार ने खर्च थे 4,343 करोड़ रुपये

उससे पहले गलगली ने मई 2018 में भी RTI के जरिये विज्ञापनों पर होने वाले खर्च की जानकारी मांगी थी। उस समय सरकार ने बताया कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से तब तक उसने 4,343.26 करोड़ रुपये की रकम विज्ञापनों और प्रचार पर खर्च की थी। जानकारी के लिए बता दें कि सरकार अपने प्रचार और विज्ञापनों पर जो पैसा खर्च करती है, वह करदाताओं का पैसा होता है।