प्रवासी मजदूरों को वापस बुला रहे व्यापारी, यात्रा भुगतान और अग्रिम वेतन का दे रहे लालच
लॉकडाउन के बाद सालों से अपने यहां काम कर रहे प्रवासी मजदूरों को रखने-खाने की सुविधा देने से इनकार करने वाले व्यापारी अब अनलॉक चरण में प्रवासी मजदूरों को वापस बुलाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए व्यापारी उन्हें यात्रा भुगतान और अग्रिम वेतन का लालच भी दे रहे हैं। ऐसे में इन दिनों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों से आने वाली बसों की आवाजाही बढ़ गई है।
लॉकडाउन में अपने घर लौटे थे श्रमिक
कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के बाद अधिकतर व्यापारियों ने अपने श्रमिकों को रहने और खाने की सुविधा देने की जगह उन्हें नौकरी से निकाल दिया था। ऐसे में कुछ सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर तो कुछ साइकिल ओर अन्य वाहनों की जरिए कष्टदायक यात्रा करते हुए अपने घर पहुंचे थे, लेकिन अब अनलॉक में व्यापार के फिर से शुरू होने के बाद व्यापारियों को प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत महसूस होने लगी है।
इन राज्यों लौट से सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर
बिहार-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित नौबतपुर चेक पोस्ट से गुजर रही अन्य राज्यों की बसों में सबसे ज्यादा बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड राज्य के प्रवासी मजदूर सवार हैं। ये मजदूर भी अपने राज्य में पर्याप्त काम नहीं मिलने और परिवार की जिम्मेदारियों के आगे मजबूर होकर फिर से काम पर लौट रहे हैं। हालांकि, मजदूरों में वापस काम पर लौटने का उत्साह कम है, लेकिन मजबूरी साफ दिख रही है।
यात्रा भुगतान और अग्रिम वेतन का दिया जा रहा है लालच
व्यापारियों द्वारा प्रशिक्षित श्रमिकों को वापस बुलाने के लिए उन्हें यात्रा भुगतान, वेतन बढ़ोत्तरी और एक-दो महीने का अग्रिम वेतन देने का लालच देकर वापस बुलाया जा रहा है। इतना ही नहीं कई व्यापारी तो अपने राज्य से एसी स्पीपर बस, स्पीपर बस भी भेज रहे हैं। इसी तरह कुछ व्यापारी श्रमिकों के लिए ट्रेन में एसी कोच की बुकिंग करा रहे हैं। इसके अलावा अधिकतर श्रमिकों को रहने और खाने की सुविधा का भी लालच दिया जा रहा है।
सूरत के हीरा व्यापारी ने भेजी स्लीपर बस
एक बस के क्लीनर इस्माइल ने TOI को बताया कि सूरत और राजकोट के हीरा व्यापारियों ने श्रमिकों को वापस लाने के लिए बस भेजी है। इस बस में अधिकरत श्रमिक पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के जिलों से हैं। उसने बताया कि लॉकडाउन के गुजरात की आभूषण इकाइयां बंद हो गई थी। ऐसे में हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए थे। अब व्यापारियों द्वारा कुशल श्रमिकों की आवश्यकता के लिए उन्हें वापस बुलाया जा रहा है।
बेरोजगारी के कारण वापस काम पर लौटना है मजबूरी
वरिष्ठ श्रमिक मुस्तकीफुर ने बताया कि घर पर रोजगार नहीं मिलने के कारण उन्होंने व्यापारी के ऑफर को स्वीकार कर लिया। बिहार निवासी जावेद ने बताया कि वह पहले खाड़ी देश में काम कर चुके हैं, वहां बुरी हालत थी। ऐसे में उन्होंने फिर से काम पर लौटने का निर्णय किया है। इसी तरह अन्य श्रमिकों ने कहा कि वह मई में श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से वापस लौटे थे, लेकिन अब रोजगार के लिए उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है।
हवाई टिकट देकर वापस बुलाया
बिहार के रोहतास निवासी शौकत अली ने बताया गत दिनों हैदराबाद स्थिति उसकी कंपनी के मालिक ने फोन कर उसे दो महीने का अग्रिम वेतन देने और हवाई टिकट भेजने का ऑफर दिया था। ऐसे में वह अब काम पर लौट वापस लौट रहा है।
ऑफर मिलने के बाद कंपनी मालिक को किया इनकार
रोहतास जिले के मक्रेन गांव निवासी प्रमोद चौधरी ने बताया कि गुरुग्राम की प्लाईवुड फैक्ट्री संचालक ने उन्हें ट्रेन की एसी टिकट और अग्रिम वेतन के साथ वापस लौटने को कहा है, लेकिन उसने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि कंपनी ने उसके साथ बहुत बुरा किया था। इसी तरह बक्सर जिले के श्रमिकों ने पानीपत के एक सूती वस्त्र उद्योग की ओर से भेजी गई स्लीपर बस को खाली ही वापस भेज दिया।
पंजाब और हरियाणा के किसानों को मिली निराशा
गल्फ न्यूज के अनुसार पंजाब और हरियाणा के खातेदारों ने खेती कार्य के लिए श्रमिकों को वापस बुलाने के लिए बिहार के मुजफ्फरपुर, सहरसा, पूर्णिया, पश्चिम चंपारण और सीतामढ़ी में एसी स्लीपर बसें भेजी थी, लेकिन अधिकतर श्रमिकों ने जाने से इनकार कर दिया। हालांकि कुछ श्रमिक काम पर लौटने को तैयार हो गए। किसानों ने उन्हें दोगुना वेतन और रखने-खाने की व्यवस्था करने का वादा किया है। अन्य जिलों में भी यही स्थिति है।
1,000 कर्मचारियों को बुलाया वापस
कुछ सप्ताह पहले हैदराबाद स्थित कंस्ट्रक्शन कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने लगभग 1,000 श्रमिकों को बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से वापस काम पर बुलाया था। इसके लिए उन्हें ट्रेन टिकट का भुगतान किया गया था।
एक करोड़ से अधिक प्रवासी मजदूर लौटे थे घर
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटे थे। इनमें से 63.19 श्रमिक तो रेलवे की ओर से चलाई गई 4,621 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से वापस लौटे थे। इसी तरह 41 लाख से अधिक श्रमिकों को पैदल और अन्य तरीकों से वापस लौटना पड़ा था। वापस लौटने वालों में सबसे ज्यादा श्रमिक उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों से थे। इन मजदूरों को वापस लौटने में खासी परेशानियां झेलनी पड़ी थी।