भारतीय वायुसेना से रिटायर हुए मिग-27 लड़ाकू विमान, डालिए इनके सफर पर एक नजर
भारतीय वायुसेना (IAF) ने शुक्रवार को मिग-27 लड़ाकू विमानों को डीकमिशन कर दिया है। सात मिग-27 विमानों ने जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित समारोह में अपनी अंतिम उड़ान भरी। उड़ान से पहले इन विमानों का पानी की बौछारों के साथ सलामी दी गई। करगिल युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाने वाले इन विमानों को 35 साल पहले वायुसेना में शामिल किया गया था। आइये, भारतीय वायुसेना में मिग-27 विमानों के सफर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
भव्य समारोह में डीकमिशन हुआ मिग-27
जोधपुर मे वायुसेना स्टेशन पर हुए इस समारोह में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता दक्षिण पश्चिमी एयर कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल एस के घोटिया ने की।
1985 में वायुसेना में शामिल हुए थे मिग-27 विमान
मिग-27 विमानों को 1985 में भारतीय वायुसेना में कमिशन किया गया था। उस समय इन विमानों की सात स्क्वॉड्रन (165 लड़ाकू विमान) वायुसेना में शामिल हुई थी। सिंगल इंजन वाले इस विमान की लंबाई 17 मीटर और ऊंचाई 5 मीटर है। मिग-27 विमानों ने 1999 में हुए करगिल युद्ध में पाकिस्तान को नाकों चने चबा दिए थे। युद्ध के बाद विमानों को 'बहादुर' नाम दिया गया था। इन विमानों ने 2001-02 के पराक्रम अभियान में भी हिस्सा लिया था।
अंतिम उड़ान से पहले सलामी लेता मिग-27 विमान
करगिल में पाकिस्तान को दबाव में लाये थे मिग-27
मिग-27 उड़ाने वाले पायलटों ने बताया कि इन विमानों का पहली बार इस्तेमाल करगिल युद्ध में ऊंचाई पर स्थित पाकिस्तानी पोस्टों को निशाना बनाने के लिए किया गया था। इसी युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट के नचिकेता का मिग-27 दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसके बाद पाकिस्तान ने उन्हें युद्धबंदी बना लिया था। जानकारों का कहना है कि करगिल युद्ध के दौरान मिग-27 के इस्तेमाल के कारण पाकिस्तान पर दबाव बनाने में सफलता मिली, जिससे भारत को फायदा हुआ।
भारतीय वायुसेना ने विदाई को लेकर क्या कहा?
मिग-27 को डीकमिशन किए जाने से एक दिन पहले IAF ने ट्विटर पर लिखा कि तीन दशक से अधिक की उल्लेखनीय सेवा के बाद मिग-27 लड़ाकू विमान जोधपुर से एक भव्य समारोह में डीकमीशन किया जा रहा है। 1985 में शामिल किया गया यह अत्यंत सक्षम लड़ाकू विमान जमीनी हमले की क्षमता का आधार रहा है। वायु सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशन्स में भाग लेने के साथ मिग-27 ने 1999 के कारगिल युद्ध में भी एक अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी।
वायुसेना ने ऐसे याद किया मिग-27 का सफर
इन विमानों का अब क्या होगा?
इन विमानों के भावी इस्तेमाल को लेकर वायुसेना ने अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है। हालांकि, यह तय है कि अब इनको उड़ाया नहीं जाएगा। माना जा रहा है कि इन्हें महत्वपूर्ण रक्षा संस्थानों या सार्वजनिक स्थलों पर गौरव के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है। IAF से डीकमिशन किए जाने के बाद अब केवल कजाकिस्तान वायुसेना एकमात्र ऐसी वायुसेना है जो इन विमानों का संचालन कर रही है।
क्यों किया गया डीकमिशन?
ये विमान पिछले तीन दशकों से सेवा में होने के कारण काफी पुराने हो गए थे। 2005 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स ने दो स्क्वॉड्रन को अपग्रेड किया था, लेकिन इनका इंजन हमेशा परेशानी का कारण बना रहा। इंजन में आई तकनीकी खामी के कारण कई मिग-27 दुर्घटना का शिकार हुए। बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए 2017 में इन विमानों की डीकमिशन करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। यह प्रक्रिया शुक्रवार को खत्म हुई है।