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करगिल युद्ध में पाकिस्तान के कब्जे से 8 दिन में वापस आ गया था भारतीय पायलट

करगिल युद्ध में पाकिस्तान के कब्जे से 8 दिन में वापस आ गया था भारतीय पायलट

संपादन Manoj Panchal
Feb 27, 2019
07:13 pm

क्या है खबर?

पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) के भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन करने के बाद पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसने भारतीय वायुसेना (IAF) के दो विमान गिराए और एक पायलट को गिरफ्तार किया है। हालांकि, भारत ने एक विमान और एक पायलट के लापता होने की बात कही है। विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान पाकिस्तान के कब्जे में हैं। कारगिल के समय भी एक भारतीय पायलट को गिरफ्तार किया गया था, जो 8 दिन बाद देश वापस आए थे।

करगिल युद्ध

करगिल युद्ध में पाकिस्तान ने नचिकेता को पकड़ा था

IAF के फाइटर पायलट के नचिकेता करगिल युद्ध के दौरान MIG 27 उड़ा रहे थे और 'ऑपरेशन सफेद सागर' का हिस्सा थे। 26 वर्षीय नचिकेता ने 3 जून, 1999 को दुश्मन के इलाके में 17,000 फुट से रॉकेट दागे और दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद कर दिया। इस बीच उनके विमान का इंजन खराब हो गया और इसमें आग लगने से उनका विमान क्रैश हो गया। वह विमान से सुरक्षित निकलने में तो सफल रहे, लेकिन POK में जा गिरे।

रिहाई

अंतरराष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान ने छोड़ा

पाकिस्तानी सेना ने नचिकेता को कब्जे में लेते हुए उन पर शारीरिक और मानसिक टॉर्चर किया। पाकिस्तान ने उनसे भारतीय सेना की जानकारी निकालने की खूब कोशिश की, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं बताया। नचिकेता के प्लेन क्रैश की खबरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छाई रहीं और इस कारण पाकिस्तान पर उन्हें छोड़ने का अंतरराष्ट्रीय दबाव बनने लगा। दबाव के कारण पाकिस्तानी सेना ने 8 दिन बाद उन्हें इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस को सौंप दिया।

अभिनंदन वर्धमान

क्या नचिकेता की तरह अभिनंदन को वापस ला पाएगी मोदी सरकार?

रेड क्रॉस ने वाघा बॉर्डर पर नचिकेता को भारत के हवाले किया। तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद जोरदार तरीके से उनका स्वागत किया था। इसके बाद नचिकेता को बहादुरी के लिए वायु सेना मेडल से सम्मानित किया गया। देश के लोगों को उम्मीद है कि अब मोदी सरकार भी वाजपेयी सरकार की तरह पाकिस्तान पर दबाव बनाकर अभिनंदन को जल्द से जल्द देश वापस लाएगी।

जेनेवा कन्वेंशन

युद्धबंदियों के लिए जेनेवा कन्वेंशन के तहत बनाये गए हैं कुछ नियम

दुनियाभर के देशों को युद्धबंधियों के साथ जेनेवा कन्वेंशन के नियमों के तहत व्यवहार करना होता है। सबसे पहला जेनेवा कन्वेंशन 1864 में सामने आया था, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद साल 1949 में इस संशोधित किया गया। इन नियमों के मुताबिक, युद्धबंदियों का दर्जा केवल अंतरराष्ट्रीय सैन्य विवादों में पकड़े गए लोगों पर लागू होता है। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मानवता कानून के भी नियम हैं। जेनेवा कन्वेंशन की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें