उत्तरकाशी सुरंग के पास कचरे का विशाल ढेर, विशेषज्ञों ने बड़े खतरे को लेकर जताई चिंता
उत्तराखंड के उत्तरकाशी सुरंग में 12 नवंबर से फंसे मजदूरों को निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है। बचाव टीमें जहां कार्यरत हैं, वहां कचरे का विशाल ढेर चिंता का विषय बन सकता है। यह कचरा सुरंग के निर्माण के दौरान इकट्ठा हुआ है, जो महत्वाकांक्षी चार धाम प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यह कचरे का ढेर विशाल पहाड़ी पर है, जो भारी बारिश होने पर कीचड़ में बदलकर आवासीय इलाके की ओर बढ़ सकता है।
निर्माण कार्य के दौरान मलबे का निपटान क्यों जरूरी?
जियोलाजिस्ट और उत्तराखंड हार्टिकल्चर एंड फारेस्ट्री यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर डॉ एसपी सती ने NDTV से बातचीत में बताया कि कैसे यह मलबा खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा, "कूड़ा जहां इकट्ठा किया जाता है, उसके नीचे के हिस्से में एक सुरक्षात्मक दीवार न होना खतरनाक हो सकता है। खासकर बरसात के मौसम में यह कचरा पानी के साथ नीचे की ओर जा सकता है और इससे पानी का बहाव भी बढ़ सकता है।"
निर्माण के दौरान नहीं किया गया दिशा-निर्देशों का पालन?
विशेषज्ञ ने कहा, "इस कचरे के ढेर को देखकर ही मैं कह सकता हूं कि दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया है।" उन्होंने कहा कि अगर क्षेत्र में बाढ़ आती है तो पानी के साथ निर्माण अपशिष्ट का नीचे की ओर प्रवाह वहां बसी बस्तियों के लिए संभावित रूप से विनाशकारी साबित हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, हिमालय क्षेत्र जैसे इन संवेदनशील इलाकों में निर्माण गतिविधियों के लिए सख्त दिशानिर्देश लागू हैं।
"उत्तरकाशी सुरंग की स्थिति भविष्य के निर्माण के लिए उदाहरण"
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव डॉ सुधीर कृष्णा ने कहा कि उत्तरकाशी सुरंग की स्थिति ऐसे निर्माण के भविष्य पर सवाल खड़े कर रही है। उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि सरकार मजदूरों को बचाने के सभी प्रयास कर रही, लेकिन मैं चिंतित भी हूं। हमें हिमालय क्षेत्र में विकास को लेकर दोबारा से सोचना होगा।" उन्होंने कहा कि मजदूरों को निकलने के बाद इस तरह के निर्माण की चिंताओं के समाधान पर विचार होगा।
मजदूरों को निकालने के बाद फिर निर्माण पर होगा विचार
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सदस्य विशाल चौहान ने कहा, "हिमालयी भूविज्ञान ऐसे निर्माणों पर अलग तरह की प्रतिक्रिया देता है। पर्यावरण के आकलन के बाद ही इस तरह की परियोजना को मंजूरी दी जाती है।" प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे भी बचाव अभियान की निगरानी के लिए स्थल पर मौजूद हैं। उन्होंने कहा, "अधिकांश सुरक्षा उपाय अपनाए गए हैं, लेकिन इस बचाव कार्य के समाप्त होने के बाद हम सभी चिंताओं पर गौर करेंगे।"
न्यूजबाइट्स प्लस
बता दें कि 12 नवंबर की सुबह लगभग 5:00 बजे भूस्खलन के चलते यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया था, जिसके कारण 8 राज्यों के 41 मजदूर सुरंग में अंदर फंस गए। इन सभी मजदूरों को बचाने के लिए के लिए अलग-अलग राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं और सुरंग में सभी सुरक्षित हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लगातार बचाव अभियान की जानकारी ले रहे हैं।