मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत पहुंचे, प्रधानमंत्री मोदी के साथ करेंगे द्विपक्षीय वार्ता
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अपने 5 दिनों के भारत दौरे पर दिल्ली पहुंच गए हैं। उनके साथ कैबिनेट के 9 मंत्री और मालदीव की प्रथम महिला और उनकी पत्नी साजिदा मोहम्मद भी हैं। इस दौरान वे भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। मालदीव का राष्ट्रपति बनने और उसके बाद भारत के संबंधों में तनाव के बाद ये उनकी पहली राजकीय यात्रा है।
6 से 10 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे मुइज्जू
राष्ट्रपति मुइज्जू 6 से 10 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे। वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ भारत-मालदीव के आपसी हितों के संबंध में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके बाद वह मुंबई और बेंगलुरु भी जाएंगे, जहां व्यावसायिक कार्यक्रमों में शामिल लेंगे। वे भारत में रहने वाले मालदीव के समुदाय से भी मिलेंगे। मुइज्जू इससे पहले जून में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए नई दिल्ली आए थे।
मुइज्जू के साथ हैं ये वरिष्ठ अधिकारी
मुइज्जू के साथ 9 कैबिनेट मंत्री भी भारत आए हैं। इनमें विदेश मंत्री डॉक्टर अब्दुल्ला खलील, रक्षा मंत्री मोहम्मद गस्सान मौमून, गृह सुरक्षा और टेक्नोलॉजी मंत्री अली इहसान, वित्त मंत्री मूसा जमीर, स्वास्थ्य मंत्री अब्दुल्ला नाजिम इब्राहिम और आर्थिक विकास मंत्री मोहम्मद सईद शामिल हैं। इसके अलावा अटॉर्नी जनरल अहमद उशाम, पर्यटन मंत्री इब्राहिम फैसल, परिवहन और नागरिक उड्डयन मंत्री मोहम्मद अमीन, निर्माण और बुनियादी ढांचा मंत्री डॉक्टर अब्दुल्ला मुत्तलिब और राष्ट्रपति कार्यालय के अब्दुल्ला फयाज भी हैं।
यात्रा को लेकर दोनों देशों ने क्या कहा?
मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, "राष्ट्रपति मुइज्जू मालदीव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देशों के साथ द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि देश के लिए एक गतिशील और सक्रिय विदेश नीति सुनिश्चित हो सके।" वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "यह यात्रा दर्शाती है कि भारत मालदीव के साथ संबंधों को कितना महत्व देता है। इससे दोनों देशों के बीच सहयोग और मजबूत संबंधों को और गति मिलने की उम्मीद है।"
मालदीव के आर्थिक हालात देखते हुए यात्रा बेहद अहम
मालदीव आर्थिक संकट से जूझ रहा है और कर्ज न चुकाने के चलते उसके दिवालिया होने की आशंका है। सितंबर तक मालदीव के पास केवल 45 दिनों तक के आयात के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। चीन समर्थित नीतियों का ऐलान करने वाले मुइज्जू को चीन से मदद नहीं मिली है, ऐसे में उनका भारत दौरा काफी अहम है। उम्मीद जताई जा रही है कि वे भारत मालदीव के लिए आर्थिक मदद का ऐलान कर सकता है।
चीन समर्थित माने जाते हैं मुइज्जू
मुइज्जू ने अपने चुनावी अभियान में 'इंडिया आउट' का नारा दिया था। वे खुले तौर पर चीन की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद वे पहली यात्रा पर चीन गए थे, जबकि मालदीव के पिछले राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले भारत आते रहे हैं। मुइज्जू के इस कदम को भारत के लिए कूटनीतिक अपमान के तौर पर देखा गया था। हालांकि, हाल-फिलहाल में मुइज्जू की नीतियों में बदलाव आया है।
कौन हैं मुइज्जू?
15 जून, 1978 को जन्मे मुइज्जू ने लंदन यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। साल 2012 में उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और मंत्री बने। 2013 में जब अब्दुल्ला यामीन राष्ट्रपति बने तब भी वह मंत्री रहे। 2013 से 2081 तक उन्होंने कई पुल, पार्क, मस्जिद और सड़कें बनवाई। 2021 के चुनाव में वह राजधानी माले के मेयर बने। यामीन को सजा मिलने के बाद मुइज्जू को विपक्षी गठबंधन ने राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया था।