महाराष्ट्र: लव जिहाद के खिलाफ आएगा कानून, सरकार ने समिति बनाई; किन-किन राज्यों में है लागू?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र की महायुति सरकार राज्य में लव जिहाद के मामलों के खिलाफ कानून लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसके लिए 7 सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसका नेतृत्व पुलिस महानिदेशक (DGP) करेंगे।
समिति राज्य में मौजूदा स्थिति का अध्ययन कर लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण की शिकायतों से निपटने के लिए कानूनी पहलुओं पर विचार कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी।
बीते दिनों फडणवीस ने धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने का वादा किया था।
समिति
समिति में कौन-कौन शामिल?
समिति में महिला एवं बाल कल्याण विभाग के सचिव, अल्पसंख्यक विकास विभाग के सचिव, विधि एवं न्याय विभाग के सचिव, सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग के सचिव, गृह विभाग के सचिव तथा गृह विभाग (विधि) के सचिव शामिल होंगे।
समिति का उद्देश्य वर्तमान स्थिति का अध्ययन करना और लव जिहाद के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने के उपायों पर विचार करना है। समिति दूसरे राज्यों के कानूनों का भी अध्ययन करेगी और एक कानूनी मसौदा तैयार करेगी।
बयान
अबू आजमी ने कहा- ये संविधान के खिलाफ
समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी ने कहा, "हम देख रहे हैं कि मुस्लिम लड़के भी हिंदू धर्म अपना रहे हैं, मुस्लिम लड़कियां भी हिंदू लड़कों से शादी कर रही हैं। अगर यह सब संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत हो रहा है तो इसमें क्या गलत है? सरकार का इस पर कानून बनाना व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास है, जो देश के संविधान के खिलाफ है।"
संजय राउत
संजय राउत भी भड़के
शिवसेना (उद्धव) के नेता संजय राउत ने कहा, "भाजपा को तय करना होगा कि लव जिहाद है या नहीं। इन लोगों ने देश का माहौल बिगाड़ दिया है। अच्छे-अच्छे लोगों को लगता है कि देश रहने लायक नहीं रहा है। हम देश में विकास की बात करते थे, लेकिन जो यह विचारधारा देश में बनी है यह हिंदुत्ववादी विचारधारा नहीं है, हिंदुत्व संस्कार और संस्कृति है। जहां-जहां भाजपा सरकार है, वहां ये लोग माहौल बिगाड़ने की बात करते हैं।"
राज्य
किन राज्यों में लागू है लव जिहाद से जुड़े कानून?
देश के कम से कम 9 राज्यों में पहले से ही लव जिहाद विरोधी कानून लागू किए जा चुके हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।
ज्यादातर राज्यों में इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 5 से 10 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
उत्तर प्रदेश में 2020 से ये कानून लागू है, जिसे बीते साल और सख्त किया गया है।