महिला की पहचान वैवाहिक स्थिति पर निर्भर नहीं- विधवा की याचिका पर मद्रास हाई कोर्ट
मद्रास हाई कोर्ट ने विधवा महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने वाली प्रथा की आलोचना की है। कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी महिला की पहचान उसकी वैवाहिक स्थिति पर निर्भर नहीं करती और विधवा होने के कारण उसे मंदिर में प्रवेश करने से रोकने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तमिलनाडु में ऐसी पुरातन मान्यताएं अभी भी प्रचलित हैं।
क्या है पूरा मामला?
कोर्ट इरोड जिले की निवासी थंगमणि की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। थंगमणि ने अपनी याचिका में कहा था कि विधवा होने के कारण उन्हें और उनके बेटे को एक स्थानीय मंदिर में होने वाले उत्सव में भाग लेने से रोका जा रहा है। याचिकाकर्ता ने आगे कहा था कि कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें धमकी भी दी थी क्योंकि उनका मानना था कि एक विधवा के मंदिर में प्रवेश करने से मंदिर परिसर अशुद्ध हो सकता है।
हाई कोर्ट बोला- छीनी नहीं जा सकती महिला की पहचान
मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस आनंद वेंकटेश ने विधवा महिला की याचिका पर कहा, "हर महिला की एक पहचान होती है, जिसे उसकी वैवाहिक स्थिति के आधार पर किसी भी तरह से कम नहीं किया जा सकता है और ना ही छीना नहीं जा सकता है।" उन्होंने आगे कहा कि स्थानीय लोगों को याचिकाकर्ता और उसके बेटे को उत्सव में शामिल होने और भगवान की पूजा करने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
पुरातन मान्यता का कायम होना दुर्भाग्यपूर्ण- हाई कोर्ट
कोर्ट ने कहा, "यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य में यह पुरातन मान्यता कायम है कि यदि कोई विधवा मंदिर में प्रवेश करती है तो इससे अशुद्धता होगी। समाज सुधारक इन सभी मूर्खतापूर्ण मान्यताओं को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन फिर भी कुछ गांवों में यह मान्यता जारी है।" कोर्ट ने आगे कहा, "यह नियम मनुष्य द्वारा अपनी सुविधा के अनुरूप बनाए गए हैं और अपने पति को खो चुकी महिला को अपमानित करता है।"
हाई कोर्ट ने पुलिस को भी दिए निर्देश
कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि महिला और उसके बेटे को मंदिर जाने और उत्सव में शामिल होने से नहीं रोका जाना चाहिए और तमिलनाडु पुलिस को उनका प्रवेश सुरक्षित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति महिला या उसके बेटे को रोकने की कोशिश करता है तो यह कानून का उल्लंघन होगा और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि मंदिर में उत्सव 9 और 10 अगस्त को होना है।