#NewsBytesExplainer: देश में बढ़ रहे वायरल बुखार के मामले; जानें लक्षण और बचाव से जुड़ी बातें
देश में बीते कुछ दिनों से वायरल बुखार के मामले बढ़ रहे हैं। मरीजों में सर्दी-खांसी, बुखार, बदन दर्द जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इसके पीछे इंफ्लुएंजा H3N2 को जिम्मेदार बताया है। IMA वैज्ञानिकों का कहना है कि H3N2 पिछले दो-तीन महीनों से लोगों की सेहत के लिए खतरा बना हुआ है। जानते हैं H3N2 क्या है, कैसे फैलता है, इसके लक्षण और बचाव के उपाय से जुड़ी सभी जरूरी बातें।
क्या है H3N2 वायरस?
H3N2 वायरस की इंसानों में पहली बार पहचान जुलाई, 2011 में हुई थी। इससे पहले 2010 में ये सूअरों में पाया गया था। 2012 में पहली बार इस वायरस की वजह से बड़े पैमाने पर लोग संक्रमित हुए थे। तब 309 लोग इस वायरस की चपेट में आ गए थे, जिनमें से 16 को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था और एक की मौत हो गई थी। तब से ही यह वायरस सामान्य फ्लू की तरह फैलता रहता है।
भारत में क्यों बढ़ रहे हैं वायरल बुखार के मामले?
भारत में जो बुखार के मामले बढ़ रहे हैं, इसके पीछे IMA ने H3N2 वायरस को जिम्मेदार बताया है, जो इंफ्लुएंजा A का ही एक प्रकार है। IMA ने कहा कि अक्टूबर से फरवरी के बीच इंफ्लुएंजा और दूसरे वायरस की वजह से इस तरह का बुखार आना सामान्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंफ्लुएंजा वायरस 4 तरह के होते हैं- A, B, C और D। इनमें से A और B वायरस एक विशेष सीजन में फैलते हैं।
फिलहाल कहां सबसे ज्यादा मामले हैं?
वायरल बुखार से जुड़े सबसे ज्यादा मामले कोलकाता से सामने आ रहे हैं। एक सर्वे में सामने आया है कि पिछले एक महीने में कोलकाता के हर 10 में से 4 घर में कम से कम एक सदस्य बुखार और सर्दी-जुकाम से पीड़ित है। 1,000 घरों में किए गए इस सर्वे में 13 प्रतिशत घर ऐसे हैं, जिनमें 4 या 4 से भी ज्यादा मरीज पिछले एक महीने के दौरान बीमार हुए हैं।
मरीजों में किस तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं?
IMA के मुताबिक, H3N2 से संक्रमित मरीजों में बुखार, सर्दी-जुकाम, बदन दर्द, उल्टी और गले में खराश जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। कुछ मरीजों में दस्त की भी शिकायत सामने आई है। IMA ने कहा कि ये लक्षण 5 से 7 दिन तक देखे जा सकते हैं। संक्रमित मरीज में बुखार 3 दिन के भीतर ही कम हो सकता है, लेकिन खांसी-सर्दी 3 हफ्ते तक रह सकती है।
किन्हें ज्यादा खतरा हैै?
IMA ने बताया कि 50 से ज्यादा और 15 साल से कम उम्र के लोगों में इस तरह के लक्षण ज्यादा देखने को मिल सकते हैं। वहीं, डॉक्टर्स का कहना है कि स्कूल जाने वाले बच्चे भी इस इंफ्लुएंजा की चपेट में आ सकते हैं। अस्थमा, डायबिटीज और ह्रदय रोग से जूझ रहे लोगों को भी संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। डॉक्टर्स इसे बढ़ते प्रदूषण से जोड़कर भी देख रहे हैं।
एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से भी बचने की सलाह
IMA ने डॉक्टरों को सलाह देते हुए कहा है कि वे मौसमी बुखार के लिए मरीजों को एंटीबायोटिक दवाएं लिखने से बचें। यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ाता है, यानी जब बीमारी से लड़ने के लिए इसकी जरूरत होगी, तब यह काम नहीं कर पाएगी।
आप ऐसे कर सकते हैं बचाव
IMA के मुताबिक, बीमारी से बचने के लिए अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोएं। घर में किसी को बुखार, सर्दी, खांसी होने पर उनसे दूरी बनाएं रखें। बार-बार नाक और मुंह को छूने से बचें। खांसते और छींकते समय मुंह को ढंकें। संक्रमित मरीजों से दूरी बनाएं और इंफ्लुएंजा से बचने के लिए वैक्सीन ही सबसे कारगर उपाय है। IMA ने लोगों से इंफ्लुएंजा वैक्सीन लेने की अपील भी की है।
भूलकर भी न करें ये गलतियां
बीमारी के संभावित लक्षणों वाले लोगों से दूर रहें। उनसे हाथ न मिलाएं। सार्वजनिक जगहों पर थूकनें से बचें। अपने मन से दवाएं न लें। किसी भी तरह की एंटीबायोटिक्स या दूसरी दवा लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।