केरल विधानसभा में UCC के खिलाफ प्रस्ताव पारित, मुख्यमंत्री बोले- लागू करने की जिद छोड़े केंद्र
केरल में मंगलवार को विधानसभा ने समान नागरिक संहिता (UCC) के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार ने ये प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया था। इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि वह देश में UCC लागू करने की जिद को छोड़ दे। केरल के सत्तारूढ़ गठबंधन के अलावा कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन भी देश में UCC लागू करने का विरोध कर रहा है।
मुख्यमंत्री विजयन बोले- संघ परिवार के लिए मनुस्मृति है संविधान
मुख्यमंत्री विजयन ने दावा किया कि केंद्र सरकार द्वारा देश में UCC लागू करने के कदम को जल्दबाजी में उठाया जा रहा है, जिसका कार्यान्वयन संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को खत्म कर देगा। उन्होंने कहा, "संघ परिवार के लिए मनुस्मृति ही संविधान है। वह हमारे संविधान का सम्मान नहीं करते हैं। संघ परिवार इस बात पर चर्चा नहीं कर रहा है कि UCC की आवश्यकता है या नहीं। UCC की बात संविधान में नहीं, संघ परिवार के दिमाग में है।"
मुख्यमंत्री विजयन ने संविधान के अनुच्छेद 44 पर क्या कहा?
मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, "संविधान का अनुच्छेद 44 केवल यह प्रस्तावित करता है कि राष्ट्र एक समान नागरिक संहिता को साकार करने का प्रयास करेगा। इसका मतलब है कि इसे समय के साथ विभिन्न धार्मिक समूहों की आम सहमति और बातचीत के माध्यम से ही पूरा किया जाएगा।" उन्होंने कहा, "अम्बेडकर ने भी नागरिकों के कानून चुनने के अधिकार का सम्मान करते हुए संसद द्वारा UCC पारित करने की वकालत की, लेकिन कभी किसी पर दबाव नहीं डाला।"
विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने भी प्रस्ताव का किया समर्थन
केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के वीडी सतीसन ने UCC के खिलाफ सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया और प्रस्ताव को सर्वसम्मति के साथ सदन में पारित कर दिया गया। इस प्रस्ताव के अंतिम पैराग्राफ में कहा गया है कि UCC को विभिन्न समूहों के साथ परामर्श के बाद ही लागू किया जा सकता है। सतीसन ने कहा, "यह बदलाव UCC में होना चाहिए और किसी भी कीमत पर इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए।"
क्या है UCC?
UCC का मतलब है कि देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वह उन्हीं के मुताबिक चलते हैं। UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। यह महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।
क्यों हो रहा है UCC का विरोध?
UCC के विरोध का सबसे बड़ा कारण है कि इसके बहाने अल्पसंख्यकों पर हिंदुओं के बहुसंख्यकवाद को थोपा जा सकता है। इसके अलावा UCC के खिलाफ संंविधान के अनुच्छेद 25 का भी हवाला दिया जाता है, जिसमें हर भारतीय नागरिक को अपने धर्म को मानने और इसका पालन और प्रचार करने का अधिकार दिया गया है। विरोधियों का मानना है कि अगर UCC लागू किया जाता है तो ये लोगों की धार्मिक आजादी और निजी कानूनों में दखलअंदाजी होगी।