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न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका नहीं सुनेंगे CJI, दूसरी पीठ का गठन करेगी सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई से CJI ने खुद को अलग किया

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका नहीं सुनेंगे CJI, दूसरी पीठ का गठन करेगी सुप्रीम कोर्ट

लेखन गजेंद्र
Jul 23, 2025
11:36 am

क्या है खबर?

दिल्ली के सरकारी आवास से बेहिसाब नकदी मिलने के मामले में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच रिपोर्ट को चुनौती दी है। मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है। CJI, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा की याचिका पर सुनवाई के लिए अलग पीठ का गठन किया जाएगा।

सुनवाई

न्यायमूर्ति वर्मा ने की थी पीठ के गठन की मांग

न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी, सिद्धार्थ लूथरा सहित अन्य पेश हुए। उन्होंने कोर्ट से कहा कि वकीलों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश की ओर से याचिका दायर की है, जिसमें कुछ संवैधानिक मुद्दे हैं, इसलिए एक पीठ का गठन होना चाहिए। इस पर CJI ने कहा कि वह जांच समिति का हिस्सा थे, इसलिए उनके लिए यह मामला उठाना उचित नहीं, एक पीठ का गठन किया जाएगा।

याचिका

न्यायमूर्ति वर्मा ने याचिका में क्या कहा है?

लाइव लॉ के मुताबिक, न्यायमूर्ति वर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि आंतरिक जांच समिति ने उन्हें जवाब देने का उचित अवसर नहीं दिया और निष्कर्ष निकाल लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि समिति ने पूर्व-निर्धारित तरीके से कार्यवाही की और बिना कोई ठोस सबूत उनके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाले। उन्होंने कहा कि समिति ने उनकी अनुपस्थिति में गवाहों की जांच की और वीडियो रिकॉर्डिंग की जगह संक्षिप्त बयान दिए हैं, CCTV फुटेज जैसे साक्ष्य को नजरअंदाज किया है।

चुनौती

न्यायमूर्ति वर्मा ने महाभियोग को भी चुनौती दी है

न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग की कार्यवाही शुरू होनी है, जिसके लिए प्रस्ताव पर राज्यसभा और लोकसभा के 100 से अधिक सांसदों ने अपने हस्ताक्षर दिए हैं। न्यायमूर्ति वर्मा ने इसको भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती है। महाभियोग की कार्यवाही के लिए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सिफारिश की थी। महाभियोग आंतरिक जांच रिपोर्ट के आधार पर शुरू की जानी है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा दोषी बताए गए हैं।

विवाद

क्या है नकदी मिलने का मामला?

दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च आग लग गई थी। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा शहर में नहीं थे। उनके परिवार ने अग्निशमन और पुलिस को बुलाया। आग बुझाने के बाद टीम को घर से भारी मात्रा में नकदी मिली थी। इसकी जानकारी तत्कालीन CJI संजीव खन्ना को हुई तो उन्होंने कॉलेजियम बैठक बुलाकर न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया। इसके बाद जांच समिति गठित हुई थी।

रिपोर्ट

समिति ने ठहाराया न्यायमूर्ति वर्मा को दोषी

सुप्रीम की ओर से गठित समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे। समिति का गठन 22 मार्च को हुआ था, जिसने 3 मई को अपनी रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को सौंपी थी। समिति ने रिपोर्ट में न्यायमूर्ति वर्मा को दोषी बताया ठहराया था और इस्तीफे का विकल्प दिया था।