जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू, जानिए 10 दिनों तक भव्य आयोजन में क्या-क्या होगा
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज से शुरू हो रही है। इस रथ यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से दशमी तिथि तक होता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ जनसामान्य के बीच रहते हैं और अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होकर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। आइए यात्रा के 10 दिनों का पूरा कार्यक्रम जानते हैं।
7 जुलाई: 5 शुभ योग में यात्रा की शुरुआत
आज यानी 7 जुलाई को भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा मंदिर से बाहर आएंगे एवं रथों पर विराजमान होंगे। इसके बाद रथों और भगवान की पूजा होगी और फिर यात्रा गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेगी। सबसे प्रसिद्ध रस्म 'छेरा पहरा' भी आज ही होगी, जिसमें ओडिशा के महाराज गजपति सोने की झाड़ू से रथों के चारों ओर सफाई करेंगे। आज शाम को भक्त रथ खींचना शुरू करेंगे। 5 शुभ योग में यात्रा की शुरुआत हुई है।
8 जुलाई: गुंडीचा मंदिर पहुंचेगी यात्रा
8 जुलाई की सुबह से रथ को आगे बढ़ाया जाएगा। इसी दिन भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा का रथ गुंडीचा मंदिर पहुंचेगा। हालांकि, अगर किसी वजह से इसमें देर होती है तो ये रथ 9 जुलाई को गुंडीचा मंदिर पहुंचेगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गुंडिचा भगवान जगन्नाथ की मौसी थी और रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ जी अपनी मौसी के घर 7 दिन तक रुकते हैं। गुंडीचा को भगवान जगन्नाथ का जन्म स्थान भी कहा जाता है।
9 से 15 जुलाई: मौसी के घर रहेंगे भगवान जगन्नाथ
भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर में रहेंगे। यहां उनके लिए कई प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और भोग लगाया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु भगवान के दर्शन भी कर सकेंगे। मान्यताओं के अनुसार, बहन सुभद्रा ने अपने दोनों भाईयों से नगर दर्शन की बात कही थी। इसके बाद तीनों नगर भ्रमण पर निकले और अपनी मौसी के घर भी 7 दिन ठहरे। तब से ये परंपरा बन गई है।
16 जुलाई: खास रस्म के साथ होगा यात्रा का समापन
16 जुलाई को निलाद्री विजया नाम की रस्म के साथ रथ यात्रा का समापन हो जाएगा और तीनों देवी-देवता वापस जगन्नाथ मंदिर लौट आएंगे। निलाद्री विजया में भगवान के रथों को खंडित कर दिया जाता है, जो इस बात का प्रतीक होता है कि रथ यात्रा के पूरी होने के बाद भगवान इस वादे के साथ मंदिर में लौट गए हैं कि अगले साल वे फिर से दर्शन देने आएंगे।
क्या है तीनों रथों की खासियत?
यात्रा में भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष के नाम से जाना जाता है। ये 42.65 फीट ऊंचा होता है और इसमें 16 पहिए होते हैं। दूसरा रथ भगवान बलराम का होता है, जिसे तालध्वज नाम से जाना जाता है। इसकी ऊंचाई 43.30 फीट होती है और इसमें 14 पहिए लगे होते हैं। तीसरा रथ सुभद्रा का होता है, जिसे दर्पदलन कहा जाता है। इसकी ऊंचाई 42.32 फीट होती है और इसमें 12 पहिए होते हैं।