महाराष्ट्र: 120 गाड़ियों में बाराती बनकर छापा मारने पहुंचे अधिकारी, 390 करोड़ की संपत्ति जब्त
महाराष्ट्र के जालना और छत्रपति संभाजी महाराज नगर (औरंगाबाद) जिले में आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। इस दौरान विभाग ने 390 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की। छापेमारी के लिए आयकर विभाग ने 120 गाड़ियों का इस्तेमाल किया। गाड़ियों में विभाग के अधिकारी बाराती बनकर पहुंचे थे। सब अलग-अलग रास्तों से गए ताकि किसी को छापेमारी की खबर न लगे। कार्रवाई 3 अगस्त से शुरू होकर 8 अगस्त तक चली।
हर कार पर लगा था 'दुल्हन हम ले जाएंगे' का स्टीकर
आयकर विभाग ने 3 अगस्त को छापेमारी के लिए 120 गाड़ियों का इस्तेमाल किया। सभी गाड़ियों को ऐसे सजाया गया था जैसे कि वे बारात में जा रही हों। कुछ गाड़ियों पर 'दुल्हन हम ले जाएंगे' लिखा हुआ स्टीकर भी था ताकि देखने वालों के लगे कि कोई बारात जा रही है। एक हफ्ते तक छापेमारी की कार्रवाई चली। शुरुआत के तीन दिन तक स्थानीय पुलिस को भी इस छापेमारी के बारे में मालूम नहीं चला।
260 अधिकारियों की पांच टीम बनाई गई
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयकर विभाग को स्टील कारोबार और फैक्ट्रियों के एक बड़े केंद्र जालना की चार कंपनियों और छत्रपति शंभाजी महाराज नगर के व्यवसायी और प्रापर्टी डीलर द्वारा आयकर चोरी की इनपुट मिले थे। सूचनाओं के आधार पर आयकर विभाग के 260 अधिकारियों की पांच टीमों का गठन किया गया। 3 अगस्त को एक टीम जालना के बाहरी इलाके में स्थित एक फार्म हाउस पर पहुंची और छापे की कार्रवाई शुरू की।
इन जगहों पर हुई छापेमारी
आयकर विभाग की टीमों ने स्टील, कपड़े और रियल एस्टेट में काम करने वाले दो व्यापारिक समूहों से जुड़े परिसरों, गोदामों और फार्महाउस पर छापे मारे। इनके नाम हैं- कालिका स्टील एलाय प्राइवेट लिमिटेड, श्री राम स्टील, फाइनेंसर विमल राज, एक डीलर प्रदीप बोरा और जालना का एक सहकारी बैंक। इनमें से कुछ कंपनियां पुराने समय से हैं। एक साथ कंपनियों पर छापेमारी होने के बावजूद स्थानीय पुलिस को तीन दिन तक इन छापों की भनक तक नहीं लग पाई।
छापेमारी में मिले पैसों को गिनने में लगे 13 घंटे
आयकर विभाग ने छापेमारी के दौरान 56 करोड़ रुपए नकद, 32 किलोग्राम सोना, 14 करोड़ रुपए के हीरे, और कई बेनामी संपत्तियों के कागजात और डिजिटल डाटा बरामद किया हैं। इनकी कुल कीमत 390 करोड़ रुपए बताई गई है। इतनी बड़ी मात्रा में मिली नकद राशि को गिनने में कुल 13 घंटे का समय लगा। अधिकारियों का कहना है कि उनकी यह योजना मददगार थी क्योंकि वह करोड़ों रुपए और गहनों की वसूली करने में सफल रहे।