भारतीय नौसेना को दिसंबर में मिलेगी नई पनडुब्बी 'वागशीर', जानिए इसकी खासियत और घातकता?
भारतीय नौसेना को दिसंबर तक कलवारी श्रेणी की पनडुब्बी वागशीर मिल सकती है। कई घातक हथियारों से लैस ये पनडुब्बी कलवारी श्रेणी की छठी और आखिरी पनडुब्बी है। इसे 'प्रोजेक्ट-75' के तहत फ्रांस की शिपिंग कंपनी नेवल ग्रुप के साथ मिलकर बनाया गया है। मई, 2023 में इस पनडुब्बी का समुद्री परीक्षण शुरू किया गया था, जो सफल रहा है। अब इसे नौसेना को सौंपने की तैयारी है। आइए इसकी खासियत जानते हैं।
कैसी है वागशीर पनडुब्बी?
इस पनडुब्बी को मझगांव डॉक्स शिप बिल्ड्रर्स लिमिटेड ने बनाया है। 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत इसे बनाया गया है। गहरे समुद्र में रहने वाली एक शिकारी मछली के नाम पर पनडुब्बी को वागशीर नाम मिला है। इसमें 4 डीजल इंजन और 360 बैटरी सेल्स लगे हैं। इसकी डिजाइन इस तरह की गई है कि ये समुद्र में दुश्मन से बचने में सक्षम है। इसमें 18 टॉरपीडो रखने की क्षमता है।
50 दिनों तक पानी के भीतर रह सकती है
वागशीर सबसे उन्नत पनडुब्बियों में से एक है, जो सतह-विरोधी जहाज युद्ध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करने, खदान बिछाने और निगरानी करने समेत कई कामों को अंजाम दे सकती है। यह 50 दिनों तक पानी में रह सकती है। सतह पर इसकी गति 20 किलोमीटर प्रतिघंटा, जबकि पानी के अंदर ये 37 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकती है। निश्चित गति पर ये एक बार में 12,000 किलोमीटर का सफर तय कर सकती है।
क्या है खासियत?
यह पनडुब्बी C303 एंटी-टारपीडो काउंटरमेजर सिस्टम से लैस है और अधिकतम 350 फीट गहराई जा सकती है। इसमें 8 सैन्य अधिकारी और 35 अन्य कर्मी तैनात किए जा सकते हैं। ये 533 मिलीमीटर के 6 टॉरपीडो ट्यूब्स हैं, जिनसे 18 टॉरपीडो या एंटी-शिप मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं। यह पानी के अंदर 30 बारूदी सुरंग बिछा सकती है। इसके अलावा उन्नत ध्वनि अवशोषक तकनीक, कम विकिरण वाले शोर स्तर, हाइड्रो-डायनामिक आकार जैसी दूसरी खासियतें भी इसमें हैं।
क्या है प्रोजेक्ट 75?
प्रोजेक्ट 75 साल 2005 में शुरू किया गया था। इसके तहत 23,000 करोड़ रुपये में कलवारी श्रेणी की 6 पनडुब्बियां बनाने का करार फ्रांसीसी नेवल समूह के हुआ था। 2012 में पहली और 2017 तक सभी पनडुब्बियों को बनाया जाना था, लेकिन ये प्रोजेक्ट काफी देरी से चल रहा है। वागशीर के बाद भारत के पास कलवारी श्रेणी की 6 पनडुब्बियां हो जाएंगी। इनमें INS कलवारी, INS खंडेरी, INS करंज, INS वेला और INS वागीर भी शामिल हैं।