क्या है भारत का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक, जिसका वीडियो रेल मंत्री ने साझा किया?
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है। वीडियो में भारत की पहली हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक को दिखाया गया है और बताया गया है कि ट्रैक का 410 मीटर तक का काम पूरा हो गया है। टेस्ट ट्रैक IIT मद्रास के थाईयूर स्थित डिस्कवरी कैम्पस में स्थित है, जिसे भारतीय रेलवे, IIT मद्रास की आविष्कार हाइपरलूप टीम और स्टार्टअप TuTr हाइपरलूप के साथ मिलकर तैयार किया जा रहा है।
हाइपरलूप ट्रैक क्या होता है?
हाइपरलूप ट्रैक को ऐसे समझें कि इससे भविष्य में भारत में तेज गति से चलने वाले परिवहन को बल मिलेगा। यह सुझाव सबसे पहले अरबपति एलन मस्क ने 2013 में दिया था। हाइपरलूप ऐसी अत्याधुनिक परिवहन प्रणाली है, जो वैक्यूम ट्यूब में कैप्सूल से काफी तेज रफ्तार से यात्रा की संभावना पैदा करती है। पहले वर्जिन हाइपरलूप का परीक्षण 9 नवंबर, 2020 को अमेरिका के लास वेगास में 161 किलोमीटर प्रतिघंटे के साथ 500 मीटर ट्रैक पर हुआ था।
क्या है हाइपरलूप ट्रैक की खासियत?
इस हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पर अभी 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से परीक्षण किया गया है, जबकि इसे आगे बढ़ाकर 600 किलोमीटर से लेकर 1,100 किलोमीटर प्रतिघंटे तक ले जाने की योजना है। रेल मंत्रालय ने इसके लिए 8.34 करोड़ रुपये धनराशि प्रस्तावित की है। अगर यह परियोजना सफल हुई तो चेन्नई से बेंगलुरु तक 350 किलोमीटर का सफर 15 मिनट में तय होगा। हाइपरलूप पर पॉड चलेगी, जो एक बार में 28 लोगों को ले जाने में सक्षम होगा।
कौन कर रहा परीक्षण?
यह प्रोजेक्टर IIT मद्रास का है, जो थाईयूर स्थित डिस्कवरी कैम्पस में चल रहा है। इसमें भारतीय रेलवे, IIT मद्रास की आविष्कार हाइपरलूप टीम और स्टार्टअप TuTr हाइपरलूप काम कर रहे हैं। यह प्रोजेक्ट 2 चरणों में तैयार होगा, जिसमें 75 छात्र काम कर रहे हैं। पहले चरण में 11.5 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण होगा। जरूरी परीक्षण के बाद बाकी के 100 किलोमीटर के मार्ग को दूसरे चरण में कवर किया जाएगा।