IIT खड़गपुर में निदेशक के खिलाफ क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं दर्जनों प्रोफेसर?
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर के करीब 100 प्रोफेसर निदेशक के खिलाफ सड़कों पर उतर गए हैं। प्रोफेसरों ने निदेशक पर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने, मनमाने ढंग से नियुक्तियां करने और परिसर में एक अस्पताल बनाने में विफल रहने जैसे आरोप लगाए हैं। विवाद के बीच कॉलेज प्रशासन ने 3 विभागाध्यक्ष को बदल दिया है और 80 से ज्यादा प्रोफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आइए समझते हैं मामला क्या है।
क्या है प्रदर्शन की वजह?
विवाद की शुरुआत इस साल सितंबर में हुई थी। तब IIT खड़गपुर शिक्षक संघ (IITTA) ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को एक पत्र भेजा था। इसमें निदेशक वीके तिवारी पर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने और मनमाने ढंग से भर्ती करने समेत कई आरोप लगाए गए थे। IITTA ने शिक्षा मंत्रालय से आग्रह किया था कि तिवारी की जगह 'उच्च शैक्षणिक स्तर के साथ-साथ समावेशी शासन का अभ्यास करने का अनुभव' रखने वाले किसी व्यक्ति को निदेशक नियुक्त करे।
प्रशासन ने IITTA पदाधिकारियों को जारी किया नोटिस
पत्र के बाद प्रशासन ने IITTA के अध्यक्ष, महासचिव, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा। ऐसा न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई। IITTA ने जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा। इस बीच 86 संकाय सदस्यों ने प्रशासन को ज्ञापन देकर पदाधिकारियों को जारी किया गया कारण बताओ नोटिस वापस लेने की मांग की।
ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले 3 विभागाध्यक्षों को भी हटाया गया
प्रशासन ने पदाधिकारियों का नोटिस वापस लेने के बजाय 86 संकाय सदस्यों को भी नोटिस जारी कर दिया। 4 दिसंबर को प्रशासन ने गणित, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बायोसाइंस और बायोटेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्षों को भी बदल दिया। आधिकारिक नोटिस में तीनों को पद से हटाने का कारण भी नहीं बताया गया। ये तीनों उन 86 लोगों में शामिल थे, जिन्होंने नोटिस वापस लेने के लिए ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
मामले पर संकाय सदस्यों और प्रशासन का क्या कहना है?
द प्रिंट से बात करते हुए एक संकाय सदस्य ने कहा, "विभागाध्यक्षों का कार्यकाल 3 साल का होता है। तीनों में से किसी ने भी कार्यकाल पूरा नहीं किया है। उन्हें हटाने का एकमात्र कारण यह है कि उन्होंने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।" वहीं, संस्थान के एक अधिकारी ने कहा, "नियमों के अनुसार, कोई व्यक्ति संस्थान के लिए प्रशासनिक भूमिका संभालने के बाद किसी आंतरिक संघ का सदस्य नहीं हो सकता है, इससे हितों का टकराव होता है।"
कानूनी विकल्प तलाश रहे संकाय सदस्य
4 और 5 दिसंबर को संकाय सदस्यों ने परिसर में मौन विरोध प्रदर्शन किया और मार्च निकाला। संकाय सदस्य अब आंदोलन को और तेज करने के लिए विरोध प्रदर्शन को सड़कों पर ले जाने और प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा कि संकाय सदस्य और IITTA के पदाधिकारी इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि संस्थान के खिलाफ कोर्ट जाया जाए या नहीं।