प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक: पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में शामिल है भारत, मिला 142वां स्थान
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता में इजाफा नहीं हो रहा है और यह पत्रकारों के ठीक से काम करने के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में शुमार है। यही कारण है कि मंगलवार को जारी किए गए रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के वार्षिक विश्लेषण के अनुसार भारत को विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों में से लगातार दूसरे साल 142वां स्थान मिला है। इसके अलावा इसे पत्रकारिता के लिए सबसे बुरे देशों में शामिल किया गया है।
प्रेस की स्वतंत्रता में शीर्ष पर है नॉर्वे
रिपोर्ट के अनुसार प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में नॉर्वे ने लगातार चौथे साथ पहले पायदान पर कब्जा जमाया है। पत्रकारिता के लिहाज से यह देश सबसे सुरक्षित है। इसके बाद फिनलैंड को दूसरा, स्वीडन तीसरा, डेनमार्क चौथा और कोस्टा रिका को पांचवां स्थान मिला है। इसी तरह इरिटि्रया को प्रसे की स्वतंत्रता में सबसे पिछड़ा देश है। इसके उत्तरी कोरिया, तुर्कमेनिस्तान, चीन और वियतनाम का नंबर आता है। इन देशों में स्वतंत्र पत्रकारिता बहुत मुश्किल है।
भारत के पड़ोसी देशों की यह है हालात
इस सूची में जहां चीन को 177वां स्थान मिला है, वहीं भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को तीन स्थानों के नुकसान के साथ 145वां, बांग्लादेश को एक स्थान के नुकसान के साथ 152, श्रीलंका को 127, म्यांमार 140 और नेपाल को 106वां स्थान मिला है। यहां श्रीलंका, म्यांमार और नेपाल ने भारत को पीछे छोड़ दिया है। इन तीनों देशों में पत्रकारों को भारत के मुकाबले अधिक आजादी से काम करने की छूट मिली हुई है।
2016 के बाद लगातार पिछड़ रहा है भारत
बता दें इस मामले में भारत 2016 में 133वें पायदान पर था, लेकिन उसके बाद से वह लगातार पिछड़ता जा रहा है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत वर्तमान में वह ब्राजील, रूस और मैक्सिकों के साथ पत्रकारिता के लिए सबसे खराब देशों में शामिल है।
भाजपा समर्थकों ने बनाया पत्रकारों को डराने-धमकाने का महौल
रिपोर्ट के अनुसार भारत में कम होती प्रेस की स्वतंत्रता के लिए भाजपा समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें कहा गया है कि भाजपा समर्थकों ने देश के प्रमुख पत्रकारों को डराने-धमकाने का महौल बनाया है। उन्होंने पत्रकारों की खबरों को 'राज्य विरोधी' और 'राष्ट्र विरोधी' करार दिया है। रिपोर्ट में यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल देश के मीडिया पर अपनी पकड़ को और मजबूत किया है।
भारत में पिछले साल हुई चार पत्रकारों की मौत
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पिछले साल काम के दौरान चार पत्रकारों की मौत हुई है। ऐसे में भारत अपना काम ठीक से करने वाले पत्रकारों के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है। इसी तरह देश में कवरेज के दौरान पत्रकारों को पुलिस हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अपराधियों की गैंग के हमलों का सामना करना पड़ा है। इसी तरह भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा पत्रकारों को कई बाद अपमानित भी किया गया है।
सरकार ने बनाया मीडिया पर दबाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में भाजपा की भारी जीत के बाद मीडिया पर उसके हिंदू राष्ट्रवादी सरकार होने का प्रचार करने का दबाव बनाया गया है। हिंदुत्व का समर्थन करने वाले भारतीय सार्वजनिक बहस को राष्ट्र-विरोधी विचार साबित करने पर जुटे हैं।
हिंदुत्व के समर्थकों के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों को बनाया जाता है निशाना
रिपोर्ट के अनुसार भारत में हिंदुत्व का समर्थन करने वालों के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। इनमें प्रकारों के खिलाफ हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है और विशेष रूप से महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। इसी तरह अधिकारियों के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह जैसे मुदकमे दर्ज कर उन्हें परेशान किया जाता है। सरकार के खिलाफ लिखने वालों को 'भारत विरोधी' करार दिया जाता है।
तथ्यात्मक पत्रकारिता करने वालों पर दर्ज किए जा रहे हैं मामले
रिपोर्ट के अनुसार भारत में सरकार ने कोरोना वायरस महामारी का लाभ उठाकर तथ्यात्मक और पुख्ता रिपोर्ट लिखने वाले पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर कवरेज पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया है। इसी तहर जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों को पुलिस और सेना द्वारा परेशानी किया जाता है। इसी तरह देश के प्रमुख पत्रकारों के खिलाफ सोशल मीडिया पर निंदा अभियान चलाया जाता है। इसमें उन्हें मारने की धमकियां भी शामिल हैं।