
पाकिस्तान को एक और झटका देने की तैयारी में भारत, रणबीर नहर का करेगा विस्तार
क्या है खबर?
पहलगाम हमले के बाद भारत पर पाकिस्तान की वाटर स्ट्राइक जारी है। भारत ने सिंधु जल संधि पर रोक लगाने के बाद अब एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है।
भारत चेनाब नदी पर बनी रणबीर नहर की लंबाई बढ़ाने पर विचार कर रहा है। फिलहाल ये नहर 60 किलोमीटर लंबी है, जिसे बढ़ाकर 120 किलोमीटर करने की तैयारी है।
इससे पाकिस्तान में चेनाब नदी का प्रवाह कम होगा और भारतीय किसानों को फायदा होगा।
कदम
क्या है भारत की योजना?
हिंदुस्तान टाइम्स ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि अब तक भारत चिनाब नदी के पानी का सीमित उपयोग कर रहा था मुख्यतः सिंचाई के लिए, लेकिन अब संधि को स्थगित करने से उपयोग बढ़ाने की गुंजाइश है।
अधिकारी ने कहा, "एक प्रमुख योजना रणबीर नहर की लंबाई बढ़ाकर 120 किलोमीटर करना है। चूंकि, बुनियादी ढांचे के निर्माण में समय लगता है, इसलिए सभी हितधारकों से इस प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया गया है।"
फायदा
भारत को क्या फायदा होगा?
नहर का विस्तार किए जाने से भारत हर सेकेंड में 150 क्यूबिक मीटर पानी चिनाब नदी से डायवर्ट कर सकता है। वर्तमान में यह मात्रा केवल 40 क्यूबिक मीटर है।
इससे भारतीय किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा, स्थानीय लोगों को पेयजल मिलेगा और जल विद्युत उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी।
वहीं, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को खासा नुकसान होगा। वहां सिंचाई और पेयजल के लिए पानी की कमी हो सकती है।
गहरी
नहरों से गाद निकालना भी शुरू करेगा भारत
भारत नहरों की लंबाई बढ़ाने के साथ-साथ नहरों को गहरा कर उनकी क्षमता भी बढ़ा रहा है।
एक अधिकारी ने बताया कि भारत संधि रोके जाने के बाद से सिंधु नदियों से जुड़ी नहरों के पुनर्निर्माण और विस्तार को प्राथमिकता दे रहा है।
अधिकारी ने कहा कि भारत रणबीर, न्यू प्रताप, रंजन, तवी लिफ्ट, परागवाल, कठुआ नहर और रावी नहरों में गाद निकालने का काम शुरू करने की तैयारी कर रहा है। यह काम राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
प्लस
अब रणबीर नहर के बारे में जानिए
रणबीर नहर जम्मू क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना है, जिसे महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में साल 1905 में बनाया गया था। उनके सम्मान में नहर का नाम रणबीर रखा गया है। यहा अखनूर के पास चिनाब नदी से निकलती है।
इसे बनाने में ब्रिटिश सिंचाई विशेषज्ञों ने भी मदद की थी। यह नहर जम्मू के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में योगदान देती है।