दिल्ली: 777 करोड़ रुपये में बनी प्रगति मैदान सुरंग में क्या खामियां आईं और कौन जिम्मेदार?
क्या है खबर?
दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने लार्सन एंड टूब्रो (L&T) कंपनी को नोटिस भेजकर प्रगति मैदान सुरंग की मरम्मत का काम शुरू करने का आदेश दिया है।
इस बीच द हिंदू ने के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा है कि मरम्मत से कुछ नहीं होगा और सुरंग में बड़े बदलाव की जरूरत है।
आइए जानते हैं कि सैकड़ों करोड़ में बनकर तैयार हुई प्रगति मैदान सुरंग कैसे खराब हो गई।
सुरंग
प्रगति मैदान सुरंग की परियोजना क्या थी?
2017 में प्रगति मैदान इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर परियोजना के तहत 1.3 किलोमीटर सुरंग और 5 अंडरपास के लिए टेंडर जारी हुआ था।
2018 में इसका निर्माण शुरू हुआ, जिसकी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के PWD को दी गई। इस परियोजना पर कुल 777 करोड़ रुपये खर्च हुए।
इस सुरंग का उद्देश्य दिल्ली के पूर्व हिस्सों, आसपास के शहरों और मध्य दिल्ली के बीच कनेक्टिविटी को आसान बनाना था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून, 2022 को इसका उद्घाटन किया था।
खराबी
सुरंग में क्या खराबी आई?
सुरंग में तकनीकी और डिजाइन संबंधी कई खामियां हैं। दीवारों से पानी का रिसाव हो रहा है।
सुरंग और अंडरपास में कई जगह बड़ी दरारें आ गई हैं और इनके रखरखाव में भी लापरवाही बरती जा रही है।
जल निकासी प्रणाली सुरंग की सबसे बड़ी खामी है, जिस कारण इसमें जगह-जगह पानी का जमाव हो जाता है।
पिछले साल बाढ़ के कारण इसे कई बार बंद करना पड़ा था।
सुरंग में बनाए गए आकर्षक चित्र भी खराब हो गए हैं।
गलती
सुरंग बनाने में कहां हुई गलती?
इंडिया टुडे को शहरी नियोजन विशेषज्ञ अर्चित प्रताप सिंह ने कहा, "प्रगति मैदान सुरंग में रिसाव का कारण निर्माण के दौरान उचित वॉटरप्रूफिंग उपायों की कमी को दर्शाता है। सुरंग में पानी जमा होने की घटनाएं और जगह-जगह नालियों की अनुपस्थिति कार्यान्वयन में संभावित खामियों को रेखांकित करती हैं। विशेष चिंता की बात वे दरारें हैं, जो इसके उद्घाटन के 2 वर्षों के भीतर सुरंग में दिखाई दी हैं। ये इसके निर्माण में खामियों के कारण हैं।"
जिम्मेदार
सुरंग में आई इन खामियों के लिए कौन जिम्मेदार?
दरअसल, इन खामियों के लिए सुरंग बनाने वाली कंपनी लार्सन एंड टूब्रो कंपनी को जिम्मेदार माना जा रहा है।
सुरंग चालू होने के कुछ समय बाद ही कई खामियां सामने आईं तो PWD ने 3 फरवरी को नोटिस भेजकर कंपनी से 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा।
PWD ने कंपनी को 500 करोड़ रुपये की टोकन राशि भी जमा करने को कहा है। कंपनी को तुरंत मरम्मत कार्य शुरू करने का निर्देश है।
निरिक्षण
PWD कई बार कर चुका निरिक्षण
PWD के नोटिस के अनुसार, सुरंग का नक्शा बनाने से लेकर इसे बनाने, बनाए रखने और मरम्मत करने की पूरी जिम्मेदारी इसी कंपनी की थी।
PWD ने कंपनी के अधिकारियों के साथ सुरंग की खामियों को लेकर पिछले साल अगस्त, सितंबर और इस साल 17 जनवरी को 3 बार बड़े स्तर पर जांच भी की। इसके बाद भी मरम्मत का काम नहीं हुआ।
कंपनी का कहना है कि उसने उल्टा PWD पर ही 500 करोड़ रुपये का क्लेम किया है।
समाधान
अब इस समस्या का क्या समाधान हो सकता है?
सिंह ने कहा, "संरचनात्मक, सिविल, भूकंपीय और भूवैज्ञानिक विशेषज्ञों समेत एक शोध टीम को जमीन की गति, पानी के प्रवेश, खराब निर्माण के विश्लेषण, अत्यधिक भार, आसपास की संरचनाओं के निपटान और रखरखाव की कमी जैसे कारकों पर विचार करते हुए सुरंग में खामियों के हर कारण की जांच करनी चाहिए।"
उन्होंने बताया कि दरारों के बढ़ने के पीछे के कारणों का विश्लेषण करने से असल समस्या का पता चलेगा और उसी हिसाब से समाधान हो सकेगा।