सुरक्षा चिंताओं के बावजूद चीन में बढ़ाया जा रहा कोरोना वैक्सीन का आपातकालीन इस्तेमाल
क्या है खबर?
चीन में तमाम सुरक्षा चिंताओं के बावजूद कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी जा रही है। इससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कुछ लोगों में पहली खुराक के बाद तो कुछ में दूसरी खुराक लेने के बाद ऐसी परेशानियां देखी जा रही है।
सार्वजनिक तौर पर ऐसी कुछ ही घटनाओं का वर्णन मिलता है, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक बड़े स्तर पर खुराक लेने वाले लोग इन परेशानियों से जूझ रहे हैं।
वैक्सीन
चीन में लाखों लोगों को दी चुकी खुराक
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नियामकीय मंजूरी मिलने से पहले चीन में लाखों लोगों को अलग-अलग वैक्सीन्स की खुराक दी जा चुकी है।
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए वैक्सीन बनाने के काम में जुटी कंपनियों और सरकार की इस रेस से नैतिक प्रश्नों के साथ-साथ सुरक्षा चिंताएं भी जुड़ी हुई हैं।
इससे पहले चीनी कंपनियां अपने शीर्ष अधिकारियों को वैक्सीन की खुराक देकर चर्चा में आई थी। तब तक इन इंसानी ट्रायल भी शुरू नहीं हुए थे।
जानकारी
जून में चीनी सरकार ने दी आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी
जून में चीन की सरकार ने आपातकालीन इस्तेमाल के लिए वैक्सीन्स को मंजूरी दी थी। उसके बाद से यहां बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन्स की खुराक दी जा चुकी है और आने वाले महीनों में यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जाएगा।
चीन
सिनोफार्म ने दी लगभग 4 लाख लोगों को खुराक
अभी तक यह साफ नहीं है कि कुल कितने लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है, लेकिन चीनी कंपनियों से इसे लेकर कुछ सुराग मिलते हैं।
यहां की सरकारी कंपनी सिनोफार्म के तहत काम करने वाली CNBG ने इंसानी ट्रायल में शामिल लगभग 40,000 वॉलेंटियरों के अलावा 3.5 लाख लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन दी है।
एक और कंपनी सिनोवैक अपने 90 प्रतिशत कर्मचारियों और उनके परिवारों (3,000 लोगों) को वैक्सीन दे चुकी है।
योजना
हुवाई समेत दूसरी कंपनियां भी देंगी अपने कर्मचारियों को वैक्सीन
सिनोवैक के CEO यिन वेईडोंग ने कहा कि कंपनी ने अपनी वैक्सीन कोरोनावैक की कई हजार खुराक बीजिंग प्रशासन को भेजी है।
उन्होंने बताया कि सबसे पहले वैक्सीन शोधकर्ताओं और इसे बनाने वाले लोगों को इसकी खुराक मिलनी चाहिए क्योंकि अगर महामारी में ये लोग संक्रमित हो गए तो वैक्सीन नहीं बन पाएगी।
अब हुवाई समेत कई दूसरी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को वैक्सीन देने के लिए सिनोफार्म के साथ बातचीत कर रही हैं।
चीन
चीनी सेना कई महीनों से दे रही जवानों को वैक्सीन
वहीं चीनी सेना ने कैनसिनो के साथ मिलकर कोरोना वायरस की एक संभावित वैक्सीन तैयार की है। पिछले कई महीनों से चीनी सेना के जवानों को इसकी खुराक दी जा रही है।
इसके अलावा कोरोना के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले विभागों के कई कर्मचारियों ने भी सोशल मीडिया पर लिखा है कि उनके संगठन की तरफ से लगभग 11,000 रुपये की कीमत में वैक्सीन की खुराकें दी जा रही हैं।
जानकारी
चीन में चार संभावित वैक्सीन्स पर चल रहा काम
हालांकि, ऐसा होता आया है, जब इंसानी ट्रायल के तीसरे चरण के दौरान सीमित संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर लगे दूसरे लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जाती है। चीन कंपनियां फिलहाल चार संभावित वैक्सीन्स पर काम कर रही हैं।
बयान
"इस्तेमाल से पहले वैक्सीन की सुरक्षा सुनिश्चित की"
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रमुख झेंग झोंगवे ने कहा कि इंसानी ट्रायल के दौरान किसी भी वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं।
उन्होंने कहा, "हमने सुनिश्चित किया है कि आपातकालीन तौर पर इस्तेमाल की जा रही वैक्सीन सुरक्षित हों। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, लेकिन असर का अभी पता लगाया जाना बाकी है।"
हालांकि, उन्होंने भी उन लोगों की असल संख्या का खुलासा नहीं किया है, जिन्हें वैक्सीन दी जा चुकी है।
सवाल
विशेषज्ञ उठा रहे सवाल
एक अधिकारी ने कहा कि चीन ने कोरोना संक्रमण का एक हद तक रोक लिया है। अब संक्रमण को वापस आने से रोकने की जरूरत है।
हालांकि, उनके इस दावे पर भी सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब चीन में संक्रमण काबू में आ गया है तो वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की क्या जरूरत है?
वहीं कुछ जानकार बिना सुरक्षा और असर जांचे इतने बड़े स्तर पर आपातकालीन इस्तेमाल पर सवाल खड़े कर रहे हैं।