IIT बॉम्बे ने छात्र की आत्महत्या के मामले में गठित किया पैनल, पाठ्यक्रम में होगा बदलाव
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे ने 18 वर्षीय दलित छात्र दर्शन सोलंकी की आत्महत्या के मामले में पुलिस से अलग जांच करने के लिए एक पैनल का गठन किया है। संस्थान ने छात्रों से मामले से जुड़ी कोई भी जानकारी साझा करने का आग्रह किया है, वहीं मुंबई पुलिस जांच के लिए सोलंकी के अहमदाबाद स्थित घर भी गई है। गौरतलब है कि सोलंकी के परिजन ने दावा किया था कि उसके साथ जातीय भेदभाव किया जा रहा था।
पैनल में कौन-कौन होगा शामिल?
IIT बॉम्बे के निदेशक सुभाशीष चौधरी ने कहा कि प्रोफेसर नंद किशोर के नेतृत्व में पैनल का गठन किया गया है। इसमें अनुसूचित जाति (SC)/ अनुसूचित जनजाति (ST) सेल के सदस्य, छात्र संरक्षक और संस्थान के अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं। चौधरी ने कहा कि प्रोफेसर नंद किशोर अभी तक संस्थान के मुख्य सतर्कता अधिकारी थे और पैनल सक्रिय रूप से उन सभी लोगों और छात्रों से मिल रहा है जिनके पास कोई जानकारी हो सकती है।
छात्रों के बीच तनाव कम करने के लिए पाठ्यक्रम में होगा बदलाव- निदेशक
निदेशक चौधरी ने कहा कि IIT बॉम्बे अपने स्नातक पाठ्यक्रम में बदलाव की दिशा में काम कर रहा है, जिससे छात्रों के बीच तनाव को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि संस्थान में एक SC-ST सेल है जहां छात्र-छात्राएं अपनी शिकायतों को दर्ज करवा सकते हैं। चौधरी के मुताबिक, IIT बॉम्बे के कैंपस को एक समावेशी परिसर बनाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, जिससे सभी छात्र यहां पर घर जैसा महसूस कर सकें।
क्या है पूरा मामला?
IIT बॉम्बे के पवई स्थित संस्थान में 12 फरवरी को हॉस्टल की सातवीं मंजिल से गिरने के कारण BTech के छात्र दर्शन सोलंकी की मौत हो गई थी। पुलिस को मृतक के पास के कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ था। कुछ छात्र समूहों का आरोप है कि IIT बॉम्बे कैंपस में जातीय भेदभाव होता है और अवसाद में आकर दलित छात्र ने आत्महत्या की है। मुंबई पुलिस सभी पहलुओं के मद्देनजर मामले की जांच कर रही है।
IIT प्रशासन ने किया था जातीय भेदभाव के आरोपों का खंडन
IIT बॉम्बे प्रशासन ने जातीय भेदभाव के आरोपों का खंडन किया था। कॉलेज प्रशासन ने अपने बयान में कहा, "IIT बॉम्बे BTech के प्रथम वर्ष के छात्र की दुखद मौत के बारे में उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन करता है, जिसमें कहा कि गया है कि छात्र के साथ भेदभाव हो रहा था और यह एक 'संस्थागत हत्या' है।" बता दें कि अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल (APPSC) ने इस मामले को 'संस्थागत हत्या' बताते हुए एक ट्वीट किया था।