कैसे कोरोना संक्रमण से अलग है केरल में दस्तक देने वाला निपाह वायरस?
देश में अभी कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर पूरी तरह खत्म भी नहीं हुई कि अब एक और नया खतरा सामने आ गया है। वर्तमान में केरल में निपाह वायरस का भी प्रकोप बढ़ रहा है। वहां अब तक इसके 11 मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, ये दोनों वायरस एक जैसे ही प्रतीत होते हैं, लेकिन दोनों में कई तरह की भिन्नताएं भी हैं। ऐसे में यहां जानते हैं कि आखिर कैसे कोरोना से अलग है निपाह वायरस।
निपाह एक जूनोटिक संक्रमण है
निपाह वायरस को निर्णायक रूप से एक जूनोटिक संक्रमण (प्राकृतिक रूप से कशेरुकी जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला) के रूप में जाना जाता है। 1999 में इस वायरस की पहचान की गई थी। इसका नाम मलेशिया के सुंगई निपाह गांव के नाम पर रखा गया है। यह सुअर, कुत्ते, बकरी, बिल्ली, घोड़े और भेड़ों के जरिए इंसानों तक फैलता है। यह वायरस प्रकृति में "फ्लाइंग फॉक्स" (एक प्रकार का फ्रूट बैट) रखता है। इससे लक्षण नजर नहीं आते हैं।
नहीं चल पाया है कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता
इसी तरह चीन के वुहान में सामने आए कोरोना वायरस के पहले मामले के बाद 20 महीने निकलने पर भी इसकी उत्पत्ति का पता नहीं चल पाया है। शुरुआत में कहा गया था कि यह वुहान के मीट मार्केट से उत्पन्न हुआ था, लेकिन यह सिद्धांत पूरी तरह से स्थापित नहीं हो पाया है। इसी तरह यह वायरस 'मेड इन ए लैब' या 'मेड इन चाइना' था या नहीं, इसको लेकर भी अभी तक पूरी दुनिया में बहस जारी है।
क्या है कोरोना वायरस के लक्षण?
कोरोना वायरस के अलग-अलग लोगों को अलग-अलग लक्षण सामने आ रहे हैं। इसमें सबसे आम लक्षण बुखार, सूखी खांसी, थकान, दर्द और गंध की कमी आदि हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कोरोना के 80 प्रतिशत मामले हल्के या बिना लक्षण वाले हैं। इसी तरह 15 प्रतिशत गंभीर (केवल ऑक्सीजन की आवश्यकता) और पांच प्रतिशत बेहद गंभीर है। बेहद गंभीर मामलों में मरीज को ऑक्सीजन और वेंटीलेटर की आवश्यकता होती है।
क्या है निपाह वायरस के लक्षण?
WHO के अनुसार, मनुष्यों में निपाह वायरस संक्रमण बिना लक्षण से लेकर तीव्र श्वसन संक्रमण और घातक एन्सेफलाइटिस तक का कारण बनता है। संक्रमित लोगों को शुरू में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश होती है। इसके बाद चक्कर आना, नींद नहीं आना, याददाश्त में कमी आदि प्रमुख लक्षण है। गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ते हैं और मरीज महज 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा में चले जाते हैं।
RT-PCR टेस्ट के जरिए ही होती है पहचान
WHO के अनुसार, दुनिया में RT-PCR टेस्ट के जरिए ही कोरोना और निपाह वायरस के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। हालांकि, इसमें समय अधिक लगता है, लेकिन इससे वायरल लोड और संक्रमण की गंभीरता की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है।
संपर्क का पता लगाना और आइसोलेट है प्रमुख बचाव
WHO के अनुसार, कोरोना और निपाह में बचाव का सबसे बड़ा तरीका पहचान, परीक्षण और उपचार का है। दोनों ही संक्रमणों में संक्रमितों के संपर्कों का पता लगाना, उनकी पहचान कर आइसोलेट करना और तत्काल उपचार शुरू करना बेहद जरूरी है। इससे संक्रमण को अन्य लोगों तक पहुंचने से रोका जा सकता है। वर्तमान में केरल में निपाह के 11 मामले सामने आने के बाद चिकित्सा प्रशासन उनके संपर्कों का पता लगाने में जुटा है।
कोरोना और निपाह दोनों का ही नहीं है उपचार
दोनों ही वायरस के संक्रमणों के उपचार के लिए अभी तक कोई भी एंटीवायरल दवा नहीं बनी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) ने कहा, "वर्तमान में निपाह वायरस (NIV) संक्रमण के लिए कोई भी लाइसेंस प्राप्त उपचार उपलब्ध नहीं है। उपचार सहायक देखभाल और संबंधित दवाइयों तक ही सीमित है।" इसी तरह इम्यूनोथेराप्यूटिक उपचार (मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी) हैं जो वर्तमान में NIV संक्रमण के उपचार के लिए विकास और मूल्यांकन के अधीन हैं।
कोरोना वायरस के उपचार में किया जा रहा है रेमेडिसिविर का उपयोग
कोरोना वायरस के संदर्भ में अक्टूबर 2020 में खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर को मंजूरी दी थी, लेकिन यह एक पुनर्निर्मित दवा है। ऐसे में आज तक किसी भी एंटीवायरल दवा को वायरस के इलाज के लिए लाइसेंस नहीं मिला है। इसी तरह टोसिलिजुमैब सहित अन्य पुनर्निर्मित दवाओं का भी कोरोना के उपचार में उपयोग भी किया जाता है। FDA से अनुमोदित दवाओं का पुन: उपयोग करना कोरोना के उपचार की एक रणनीति है।
कोरोना की तुलना में बेहद जानलेवा है निपाह वायरस
ग्लोबल वायरस नेटवर्क ने अनुमान लगाया गया है कि निपाह वायरस का R0 (प्रसार की दर) 0.43 था। ऐसे में यह कोरोना की तुलना में कम संक्रामक है। हालांकि, इसकी मृत्यु दर 45 से 70 प्रतिशत के बीच है। यह केरल में पिछले निपाह वायरस के प्रकोप से किए गए आकलन पर आधारित है। उस समय केरल में संक्रमित मिले 19 रोगियों में से 17 की मौत हुई थी। ऐसे में यह कोरोना की तुलना में बेहद खतरनाक है।
निपाह की तुलना में अधिक तेजी से फैलता है कोरोना वायरस
दूसरी ओर कोरोना वारयस के R0 में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। भारत और कई देशों में यह R0 एक प्रतिशत से भी ऊपर पहुंच चुका है। यह इसकी उच्च संक्रामक दर को दर्शाता है। वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग हल्के से मध्यम श्वसन रोग का अनुभव करते हैं और विशेष उपचार के बिना ठीक हो जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमितों में मृत्यु दर औसतन एक प्रतिशत से भी कम रही है।
क्या है वैक्सीनों की स्थिति?
निपाह की पहचान पहली बार 1999 में हुई थी, लेकिन अभी तक इसके उपचार के लिए कोई विशेष दवा या वैक्सीन नहीं बन पाई है। WHO ने WHO रिसर्च एंड डेवलपमेंट ब्लूप्रिंट के लिए निपाह को प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में पहचाना है।हालांकि, कोरोना के लिए कई वैक्सीन तैयार हो चुकी है, लेकिन अभी उनकी प्रभाविकता पर अध्ययन जारी है। वैसे, कोरोना की तरह निपाह की वैक्सीन पर वैश्विक रूप से विशेष ध्यान नहीं दिया गया है।