
केरल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, मैरिटल रेप को बताया तलाक का वैध आधार
क्या है खबर?
केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला देते हुए कहा कि मैरिटल रेप (पत्नी की इच्छा के खिलाफ जाकर संबंध बनाना) तलाक का दावा करने का एक वैध आधार है।
हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून में मैरिटल रेप को दंडनीय नहीं बनाया गया है, लेकिन यह कोर्ट को इसे क्रूरता मानकर तलाक देने से रोकता नहीं है।
कोर्ट ने एक पति की याचिका को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
फैसला
पत्नी की मर्जी के खिलाफ संबंध बनाना मैरिटल रेप- कोर्ट
केरल हाई के जस्टिस मोहम्मद मुस्ताक और डॉ कौसर एडप्पागाथ की डिविजन बेच ने अपने फैसले में कहा कि पत्नी के शरीर पर मालिकाना हक समझकर उसकी मर्जी के खिलाफ संबध बनाना मैरिटल रेप है। शारीरिक और मानसिक अखंडता के सम्मान के अधिकार में शारीरिक अखंडता शामिल है और शारीरिक अखंडता का कोई भी अनादर या उल्लंघन व्यक्तिगत स्वायत्तता का उल्लंघन है।
30 जुलाई को सुनाए गए इस फैसले की कॉपी शुक्रवार को अपलोड की गई थी।
जानकारी
कोर्ट ने कहा- विवाह में पति-पत्नी बराबर के भागीदार
कोर्ट ने फैसले में कहा कि आधुनिक सामजिक न्यायशास्त्र में पति और पत्नी विवाह में बराबर के भागीदार माने जाते हैं। पति पत्नी पर उसके शरीर के संबंध में या व्यक्तिगत स्थिति के संदर्भ में किसी तरह के श्रेष्ठ अधिकार का दावा नहीं कर सकता।
टिप्पणी
शादी और तलाक के लिए होने चाहिए समान कानून- कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि देश में शादियां और तलाक धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत आने चाहिए। शादियों और तलाक के मामले में सभी समुदायों के लिए एक जैसा कानून होने में किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा, "देश में नए वैवाहिक कानूनों का समय आ गया है। हमारे कानून वैवाहिक क्षति और मुआवजा से निपटने में सक्षम होने चाहिए। हमें मानवीय समस्याओं से निपटने के लिए मानवीय सोच के साथ प्रतिक्रिया देने वाले कानून चाहिए।"
फैसला
धन और सेक्स की अतृप्त इच्छा भी क्रूरता की श्रेणी में आएगी- कोर्ट
कोर्ट एक डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। फैमिली कोर्ट ने डॉक्टर की तलाक की याचिका को रद्द करने की मांग को ठुकरा दिया था। इसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी।
मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पति की धन और सेक्स के लिए इच्छा ने पत्नी को तलाक लेने पर मजबूर कर दिया। जीवनसाथी के धन और सेक्स की अतृप्त इच्छा भी क्रूरता की श्रेणी में आएगी।
जानकारी
बेहद महत्वपूर्ण है हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने कहा कि विवाह में पति और पत्नी के पास विकल्प होता है कि वह पीड़ित न हो। अदालत द्वारा तलाक से इनकार कर पति या पत्नी को उसकी इच्छा के खिलाफ पीड़ित होने पर मजबूर नहीं किया जा सकता।
केरल हाई कोर्ट का यह फैसला इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जुलाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप को तलाक का धारा बनाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।