
क्या भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हो चुका है युद्ध, कौन करेगा इसकी घोषणा?
क्या है खबर?
भारत और पाकिस्तान बीच 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद हालात तनावपूर्ण हैं। पाकिस्तान ने बुधवार रात भारत के 15 शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, लेकिन भारत ने उन्हें विफल करते हुए करारा जवाब दिया।
गुरुवार रात को पाकिस्तान ने फिर से ड्रोन दागे तो भारत ने उन्हें भी विफल करते हुए सियालकोट, लाहौर, इस्लामाबाद आदि शहरों पर हमला बोल दिया।
ऐसे में सवाल उठ रहा कि क्या दोनों दोनों में युद्ध शुरू हो गया और इसकी घोषणा कौन करेगा?
हालात
वर्तमान में क्या हैं हालात?
पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों से प्रभावित जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती शहरों में रात को ब्लैकआउट किया गया और लोगों को घरों में रहने की सलाह जारी की गई।
इसी तरह पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर पुंछ, उरी और नौशेरा सहित विभिन्न इलाकों में संघर्ष विराम का उल्लंघन किया और रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया।
इससे पुंछ में एक 40 वर्षीय महिला की मौत हो गई और घरों के साथ वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है।
जानकारी
भारतीय संविधान में क्या है युद्ध की घोषणा की प्रक्रिया?
भारतीय संविधान में युद्ध की घोषणा के लिए कोई भी समर्पित विशिष्ट अनुच्छेद या प्रक्रिया नहीं है। हालांकि, अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित प्रावधानों को युद्ध या बाहरी आक्रमण की स्थिति में लागू करने की प्रक्रिया बताई गई है।
घोषणा
भारत में कैसे की जाती है युद्ध की घोषणा?
भारत युद्ध की घोषणाओं से संबंधित मामलों को संवैधानिक प्रावधानों, संसदीय निगरानी और कार्यकारी प्राधिकरण के मिश्रण के माध्यम से संबोधित करता है, जबकि कुछ देशों में ऐसी घोषणाओं पर औपचारिक कानून नहीं हैं।
भारत में युद्ध की घोषणा करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास है, लेकिन इसका प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल और संसद की सलाह के आधार पर ही किया जाता है।
मंत्रिमंडल की लिखित स्वीकृति के बाद ही राष्ट्रपति युद्ध की घोषणा कर सकते हैं।
कारण
राष्ट्रपति को क्यों लेनी पड़ती है प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सलाह?
सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 53(2) के तहत युद्ध की घोषणा करने या शांति स्थापित करने का संवैधानिक अधिकार है।
संविधान का अनुच्छेद 53 बताता है कि संघ की कार्यकारी शक्ति भारत के राष्ट्रपति में निहित है, लेकिन अनुच्छेद 74 के तहत प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिमंडल की सहायता और सलाह के अनुसार ही राष्ट्रपति कोई निर्णय ले सकता है।
ऐसे में राष्ट्रपति के लिए प्रधानमंत्री की सलाह जरूरी होती है।
मंत्रिमंडल
मंत्रिमंडल के राय देने से पहले के प्रमुख कार्य
युद्ध की घोषणा पर राय देने से पहले मंत्रिमंडल रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से पर अहम चर्चा करता है।
निर्णय पर पहुंचने से पहले मंत्रिमंडल सैन्य प्रमुखों, खुफिया एजेंसियों और राजनयिक चैनलों से जानकारी मांग सकता है। उसके बाद मंत्रिमंडल की सिफारिश पर प्रधानमंत्री सलाह देते हैं।
1978 के 44वें संविधान संशोधन के तहत, राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल (जो युद्ध की स्थिति में लागू होता है) की घोषणा मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश पर ही कर सकते हैं।
भूमिका
युद्ध की घोषणा में क्या है संसद की भूमिका?
भले ही संसद संवैधानिक रूप से युद्ध की घोषणा की स्वीकृति के लिए बाध्य नहीं है, लेकिन वह निगरानी और वित्तपोषण में भूमिका निभाती है।
उसके पास सैन्य कार्रवाइयों पर बहस करने और सरकार को जवाबदेह ठहराने का अधिकार है। ऐसे में युद्ध के दौरान सरकार से संसद को सूचित करने और राजनीतिक सहमति प्राप्त करने की अपेक्षा की जाती है।
प्रधानमंत्री की सहमति के बाद इसे मंजूरी के लिए लोकसभा और राज्यसभा दोनों में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
पृष्ठभूमि
पिछले युद्धों में कैसे की गई थी घोषणा?
1947-48 का भारत-पाकिस्तान युद्ध (पहला कश्मीर युद्ध) आदिवासी मिलिशिया और पाकिस्तानी सेना के कश्मीर पर आक्रमण के साथ शुरू हुआ। इसमें दोनों पक्षों ने युद्ध की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की थी।
1962 के भारत और चीन के बीच युद्ध में भी दोनों देशों द्वारा कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी।
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई थी और यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की मध्यस्थता में ताशकंद समझौते के साथ समाप्त हुआ था।
अन्य
करगिल युद्ध में क्या हुआ था?
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (बांग्लादेश मुक्ति युद्ध) में भारत ने अपनी सैन्य भागीदारी से पहले युद्ध की कोई औपचारिक घोषणा नहीं थी। पाकिस्तान ने भारतीय हवाई अड्डों पर हवाई हमले शुरू किए, जिसके कारण भारत ने युद्ध में पूरी तरह से प्रवेश किया।
इसी तरह 1999 में पाकिस्तानी सैनिक और आतंकियों की घुसपैठ के बाद शुरु हुए करगिल युद्ध में भी दोनों पक्षों ने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की। भारत ने 'ऑपरेशन विजय' के साथ युद्ध का जवाब दिया था।