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सवर्णों ने नहीं दिया रास्ता, दलित के शव को पुल से लटकाकर ले जाना पड़ा श्मशान

सवर्णों ने नहीं दिया रास्ता, दलित के शव को पुल से लटकाकर ले जाना पड़ा श्मशान

Aug 22, 2019
04:16 pm

क्या है खबर?

देश के अलग-अलग इलाकों से अकसर जातीय भेदभाव की खबरें सामने आती रहती हैं। अब तमिलनाडु के वेल्लोर जिले से दिल दुखाने वाले खबर आई है। यहां एक शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे दलितों को पुल से शव को नीचे उतारना पड़ा क्योंकि रास्ते पर आगे पड़ने वाले सवर्ण जाति के लोग उन्हें अपनी जमीन से गुजरने नहीं देते। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

भेदभाव

जातीय भेदभाव का ताजा उदाहरण है यह घटना

वेल्लोर के वनियांबडी इलाके में हुई इस घटना के वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग रस्सी की मदद से एक लाश को पुल के नीचे उतारते हैं। इस दौरान लाश पर रखी फूलमालाएं नीचे गिर जाती है। लगभग 20 फीट की ऊंचाई पर बने पुल के नीचे कुछ लोग खड़े हैं, जो नीचे लटकाए गए शव को पकड़ते हैं। इसके बाद वो लोग शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट लेकर जाते हैं।

ट्विटर पोस्ट

यहां देखिये वीडियो

जानकारी

गांव में दलितों के लिए नहीं है श्मशान घाट

वीडियो शूट कर रहा शख्स कहता है कि गांव में दलितों के लिए कोई श्मशान घाट नहीं है। उन्हें हर बार ऐसे ही पुल के ऊपर से लाश को नीचे करना पड़ता है और उसके बाद नदी किनारे जाकर अंतिम संस्कार किया जाता है।

घटना

17 अगस्त की घटना अब आई सामने

55 वर्षीय कुप्पन की 17 अगस्त को मौत हो गई थी। ऊंची जातियों के हिंदूओं ने उनकी शवयात्रा को अपने खेतों में से नहीं गुजरने दिया। इस इलाके के गांवों में ऊंची जातियों के हिंदूओं का दबदबा है और वो दलितों को सड़क पर चलने और श्मशान घाट के इस्तेमाल नहीं करने देते। पुलिस ने बताया कि खासतौर से वेल्लाला गाउंडर्स और वन्नियार्स ने अपने खेतों से इस शवयात्रा को नहीं जाने दिया। इसका वीडियो अब वायरल हो रहा है।

जानकारी

दावा- दलितों के रास्ते पर दबंगों ने किया अतिक्रमण

मृतक कुप्पन के रिश्तेदार ने आरोप लगाया कि सवर्ण जातियों के लोगों ने दलितों के शव ले जाने वाले रास्ते पर अतिक्रमण कर लिया है। उन्होंने इस रास्ते के दोनों तरफ की जमीनें खरीद ली हैं और वो यहां से दलितों को जाने नहीं देते।

बयान

"गांव में बने श्मशान घाट का इस्तेमाल नहीं कर सकते दलित"

कुप्पन के भतीजे ने न्यूजमिनट को बताया, "20 सालों से हमें श्मशान जाने के रास्ते को पार करने में परेशानी होती है। दबदबे वाली जातियों के लोग शव लेकर दलितों को अपने जमीन पर नहीं जाने देते। ऊंची जातियों के लिए अलग श्मशान घाट है, जिसका हम लोग इस्तेमाल नहीं कर सकते। पुल बनने से पहले हम शव को पानी में छोड़ देते थे। अब पुल बना है तो हमें शवों को नीचे उतारकर उनका अंतिम संस्कार करना पड़ता है।"

रोक

रास्ते पर बना ली बाड़

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दलितों का रास्ता रोके जाने के बाद उन्हें हर बार ऐसे ही पुल से शवों को नीचे उतारकर उनका अंतिम संस्कार करना पड़ता है। लगभग 15 साल पहले पुल के बनते ही ऊंची जातियों के हिंदूओं ने दलितों के श्मशान घाट जाने वाले रास्ते पर कब्जा कर लिया था। साथ ही उन्होंने बाड़ बनाकर दलितों द्वारा उस रास्ते के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी थी, जिसके चलते दलित उस सड़क पर नहीं जा सकते।