
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी, स्वीकार किया निमंत्रण
क्या है खबर?
मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी भारत के अगले गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। उन्होंने इस संबंध में भारत का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।
यह पहला मौका होगा जब मिस्र के राष्ट्रपति भारत में गणतंत्र दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि आएंगे।
बता दें कि भारत सरकार अपने रणनीतिक, कूटनीतिक, कारोबारी और भू-राजनीतिक हितों और संबंधों को देखते हुए गणतंत्र दिवस के अपने समारोह के मुख्य अतिथि का चयन करती है और इसका बहुत प्रतीकात्मक महत्व है।
ऐलान
विदेश मंत्रालय ने की आधिकारिक पुष्टि
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह को गणतंत्र दिवस 2023 समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने का आमंत्रण भेजा था, जिसे 16 अक्टूबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें सौंपा था। अब राष्ट्रपति ने निमंत्र को स्वीकार कर लिया है।
मंत्रालय ने कहा कि पहली बार मिस्र के राष्ट्रपति भारत में गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि होंगे।
बयान
भारत और मिस्र मना रहे हैं राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और मिस्र इस साल अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। ऐसे में मिस्र को 2022-23 में G-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान अतिथि देश के रूप में भी आमंत्रित किया गया है। भारत और मिस्र के सभ्यतागत तथा लोगों से लोगों के बीच गहरे संबंधों पर आधारित मैत्रीपूर्ण संबंध हैं।
बता दें कि भारत हर बार नवंबर में गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि तय कर लेता है।
परंपरा
गणतंत्र दिवस पर विदेशी प्रतिनिधि को बुलाने की परंपरा
गौरतलब है कि भारत में गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में विदेशी प्रतिनिधि को बुलाने की परंपरा रही है।
26 जनवरी, 1950 को लाल किले पर आयोजित किए गए पहले गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
वहीं 1955 में पहली बार राजपथ पर आयोजित हुए समारोह में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मुहम्मद को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
जानकारी
तीन बार बिना विदेशी अतिथि के आयोजित हो चुका है गणतंत्र दिवस समारोह
गणतंत्र दिवस के इतिहास में साल 1952, 1953 और 1966 में किसी भी विदेशी प्रतिनिधि को आमंत्रित नहीं किया गया था।
आखिरी बार 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के कारण किसी विदेशी प्रतिनिधि को निमंत्रण नहीं दिया गया था।
इसी तरह 2021 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आमंत्रित किया गया था, लेकिन कोरोना के नए स्ट्रेन के कारण उन्होंने अपना दौरा निरस्त कर दिया था।
अंतिम समय
दो बार ऐन मौके पर बुलाए गए थे दूसरे मुख्य अतिथि
भारत को दो बार ऐन मौके पर मुख्य अतिथि बदलने भी पड़े हैं। पहली बार 2013 में ओमान के सुल्तान कबूस बिन सईद अल सैयद के नहीं आने पर भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था।
वहीं 2019 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नहीं आने पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को आमंत्रित किया था।
हालांकि, 2021 में महामारी के कारण किसी अन्य प्रतिनिधि को बुलाना संभव नहीं हुआ।